मध्यप्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव में OBC आरक्षण मिलेगा या नहीं? विशेष शासकीय अधिवक्ता के बयान से गरमाई सियासत

मध्यप्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव में OBC आरक्षण मिलेगा या नहीं? Whether OBC reservation will be available in Panchayat elections in MP?

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  • Publish Date - May 8, 2022 / 12:01 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:13 PM IST

भोपाल: OBC reservation in Panchayat elections  मध्यप्रदेश में OBC आरक्षण से जुड़े मामलों पर हाईकोर्ट में पैरवी के लिए नियुक्त विशेष शासकीय अधिवक्ता ने बड़ी बात कही है। विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने कहा कि पंचायत और निकाय चुनावों के मामले में सुप्रीम कोर्ट, महाराष्ट्र के मामले पर दिए गए आदेश को मध्यप्रदेश में भी लागू कर सकती है। इसकी वजह वक्त रहते ओबीसी वर्ग का डेटा ना जुटाया जाना है। विशेष शासकीय अधिवक्ता के इस बयान के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है।

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OBC आरक्षण मिलेगा या नहीं

OBC reservation in Panchayat elections  मध्यप्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव में OBC आरक्षण मिलेगा या नहीं, अगर मिला तो कितना मिलेगा। इन सवालों के जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं हैं। इसके लिए 10 मई का इंतज़ार है जब सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। लेकिन इससे पहले एमपी हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण से जुड़े मामलों पर पैरवी के लिए नियुक्त विशेष शासकीय अधिवक्ता ने अपना अभिमत दिया है। विशेष शासकीय अधिवक्ता रामेश्वर सिंह का कहना है कि राज्य सरकार ने ओबीसी वर्ग का डेटा जुटाने में बड़ी देर कर दी। ख़ास तौर पर जब आरक्षण देने के लिए जरूरी त्रिपल टेस्ट मध्यप्रदेश में अधूरा है तो रामेश्वर सिंह ने ये राय जताई है कि सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र के लिए जारी आदेश को एमपी में भी लागू कर सकता है। यानि MP में OBC आरक्षण के बिना ही चुनाव कराने के निर्देश दिए जा सकते हैं।

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विशेष शासकीय अधिवक्ता के बयान से गरमाई सियासत

विशेष शासकीय अधिवक्ता के इस बयान के बाद बीजेपी-कांग्रेस के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। कांग्रेस ने बीजेपी पर सिर्फ अधूरी तैयारियों से श्रेय लूटने की कोशिश का आरोप लगाया है। इधर, BJP कह रही है कि वो तो कांग्रेस की ही नाकामियों का बोझ ढो रही है।

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35 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश

दरअसल, OBC आयोग ने प्रदेश में OBC वर्ग की आबादी 48 फीसदी बताकर उसे 35 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की है। आरक्षण के लिए पिछड़ी जातियों को ट्रिपल टेस्ट में राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्तर की जानकारी देनी थी। लेकिन आयोग की रिपोर्ट में इस पर कमी रह गई, जिसे लेकर सरकार के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा। वक्त पर चुनाव न होने से पहले से ही खफा सुप्रीम कोर्ट ने इस पर शुक्रवार की सुनवाई के दौरान नाराज़गी जताई और कहा कि जो जरूरी कार्रवाई अब तक नहीं हुई वो अगले एक हफ्ते में कैसे होगी। सवाल ये भी है कि अगर सरकार OBC वर्ग को 35 फीसदी आरक्षण देगी तो एससी और एसटी को मिलाकर आरक्षण को उसकी अधिकतम सीमा 50 फीसदी के भीतर कैसे रखेगी। अब इंतज़ार 10 मई को आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का है, क्योंकि फैसले पर सियासी दलों की रणनीति भी टिकी है।

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