शह मात The Big Debate: अकेले पड़ गए पटवारी…क्यों भारी प्रदेश प्रभारी? मध्यप्रदेश कांग्रेस का पावर टसल क्यों हुआ जगजाहिर?

MP Politics: अकेले पड़ गए पटवारी...क्यों भारी प्रदेश प्रभारी? मध्यप्रदेश कांग्रेस का पावर टसल क्यों हुआ जगजाहिर?

शह मात The Big Debate: अकेले पड़ गए पटवारी…क्यों भारी प्रदेश प्रभारी? मध्यप्रदेश कांग्रेस का पावर टसल क्यों हुआ जगजाहिर?

MP Politics

Modified Date: November 29, 2025 / 12:01 am IST
Published Date: November 29, 2025 12:01 am IST
HIGHLIGHTS
  • हरीश चौधरी ने जीतू पटवारी की नियुक्तियों को अवैध बताते हुए रद्द किया
  • कांग्रेस में आंतरिक कलह उजागर, भाजपा ने इस पर चुटकी ली
  • गुटबाजी का असर मिशन 28 की तैयारी पर पड़ने की आशंका

भोपाल: MP Politics आज कांग्रेस के एक लेटर ने Mp कांग्रेस की कलह को फिर जगजाहिर कर दिया है। जीतू पटवारी ने जो नियुक्तियां की थी। उन्हें प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने न सिर्फ अवैध बताते हुए रद्द किया बल्कि सीधे सीधे पटवारी को हिदायत भी दे दी कि आगे से ऐसा नहीं होना चाहिए जो होगा उनकी अनुमति से। बस इधर य़े चिट्ठी आई उधर सियासी पारा हो गया बेहद हाई।

MP Politics इस पत्र ने MP कांग्रेस की खींचतान को फिर जगजाहिर कर दिया है। ये तो तय है कि सब जगह ऑल इस वेल का ताल ठोंकने वाली मध्यप्रदेश कांग्रेस में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। तभी तो संगठन मंत्रियों की नियुक्ति पर प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने न सिर्फ सवाल उठाते हुए हिदायत दी। बल्कि पीसीसी चीफ की हुई सारी नियुक्तियों को अवैध बताते हुए तुरंत प्रभाव से रद्द भी कर दिया।

जाहिर है पीसीसी चीफ जीतू पटवारी की सहमति से प्रदेश संगठन महामंत्री संजय कमाले ने हाल ही में इंदौर, जबलपुर सहित कई जिलों में नए संगठन मंत्री नियुक्त किये थे। जिसे लेकर प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी की नाराजगी सामने आई है। सीधे तौर पर तमाम नियुक्तियों को अवैध बता दिया गया। हालांकि बाद में हुई कांग्रेस की पीसी में उन्होने इसे कांग्रेस का आंतरिक मामला बताते हुए सब कुछ ऑल इज वेल बताया।

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चौधरी और पटवारी भले सब कुछ ठीक बताएं, लेकिन ये लेटर कांग्रेस में जारी खींचतान को तो बयां कर ही रहा है। भाजपा इसपर जमकर चुटकी ले रही है, तो कांग्रेस भाजपा को आइना देखने की नसीहत दे रही है।

नियुक्तियों को लेकर छिड़ी रार को कांग्रेस भले आंतरिक मामला बताए। लेकिन पार्टी के भीतर गुटबाजी को एक बार फिर सड़क पर ला दिया है। ऐसे में भले ही कितनी मीटिंग हो जाए। कितने ही प्रशिक्षण शिविर हो जाए। लेकिन कांग्रेस के हालात बदलते नजर नहीं आते। ऐसे में सवाल ये भी कि जब मध्यप्रदेश कांग्रेस के सीनीयर्स में इतनी खींचतान है तो इसका असर जमीनी कार्यकर्ताओं पर कितना पड़ेगा। जिसका सीधा इंपैक्ट मिशन 28 की तैयारी पर पड़ेगा।

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