जिला अध्यक्षों की रेस.. कहीं आरोप, कहीं क्लेश! आखिर अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाने के लिए सिर फुटव्वल क्यों मची?
Zila Panchayat President Election results released
Zila Panchayat President Election
(रिपोर्टः सुधीर दंडोतिया) भोपालः Zila Panchayat President Election एमपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव नतीजे आ गए। यहां एक बार फिर बीजेपी का दबदबा देखने को मिला.. बीजेपी ने 51 में से 41 जिला पंचायतों पर जीत का दावा किया। भोपाल में चुनाव के दौरान काफी गहमागहमी का माहौल भी बना। दिग्विजय सिंह और बीजेपी नेताओं के बीच धक्कामुक्की तक हुई। इसके बाद कांग्रेस नेता बीजेपी के निशाने पर आ गए। दिग्विजय की बदसलूकी के वीडियो दिखाकर बीजेपी नेता उनपर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। अब सवाल है कि जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाने के लिए सिर फुटव्वल क्यों मची?
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Zila Panchayat President Election शहर सरकार बनाने के बाद बीजेपी ने ग्राम संग्राम में भी अपना परचम बुलंद किया है। 51 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी ने 41 सीट पर जीत का दावा किया है। तो 9 जिलों में कांग्रेस अपनी लाज बचाने में सफल रही. चुनाव प्रक्रिया को लेकर कई जगह बीजेपी और कांग्रेस के बीच जमकर झड़प भी हुई। सबसे ज्यादा हंगामा भोपाल में हुआ यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह और बीजेपी के मंत्रियों के बीच धक्का मुक्की की नौबत तक आई।
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दरअसल भोपाल जिला पंचायत के 3 कांग्रेस सदस्यों की क्रॉस वोटिंग कराकर बीजेपी ने अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा जमाया। कांग्रेस से बागी रामकुंवर गुर्जर ने कांग्रेस कैंडिडेट रश्मि भार्गव को एक वोट से हराकर उलटफेर किया। जीत की घोषणा होते ही बीजेपी खेमे में जश्न का माहौल दिखा तो कांग्रेस बागी सदस्यों पर कार्रवाई करती दिखी। जिला पंचायत अध्यक्ष की जंग बवाल को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बीजेपी की गुंडागर्दी बताया तो मंत्रियों ने भी पलटवार किया।
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एमपी में पंचायत चुनाव भले ही गैरदलीय हुए, लेकिन कांग्रेस और बीजेपी ने जिला और जनपद पंचायतों में अध्यक्ष के चुनाव को नाक की लड़ाई मानकर मैदान में उतरी..जिसमें सत्तापक्ष भारी पड़ा। नतीजों के बाद कांग्रेस एक बार फिर बीजेपी खरीदफरोख्त की राजनीति करने का आरोप लगाया है। तो बीजेपी प्रचंड जीत को ऐतिहासिक बता रही है। दोनों के अपने-अपने दावे हैं लेकिन चुनाव में जिस तरह से जोड़-तोड़ और बाहुबल का इस्तेमाल हुआ। लोकतंत्र के लिए कतई अच्छा नहीं कहा जता सकता।

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