नागपुर: Nagpur Hospital Death महाराष्ट्र के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों मौत का तांडव देखने को मिल रहा है। नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में हुई 30 मरीजों की मौत का मामला अभी शांत नहीं हुआ कि नागपुर में भी ऐसा ही मामला सामने आ गया। दरअसल यहां सरकारी अस्पताल में पिछले 2 घंटे के भीतर 25 मरीजों की मौत हो गई है। इस घटना के बाद पूरे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। बता दें कि नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में 24 घंटे में 30 मरीजों की मौत हो गई थी।
Nagpur Hospital Death नागपुर के मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने स्वीकार किया कि पिछले 24 घंटों में नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जीएमसीएच) में 14 मरीजों की मौत हो गई, जबकि इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (आईजीजीएमसीएच) में नौ अन्य मरीजों की जान चली गई। जीएमसीएच के डीन डॉ. राज गजभिए ने कहा है कि नागपुर में हुई मौतों की तुलना नांदेड़ प्रकरण से नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि जीएमसीएच में 1,900 बिस्तरों की क्षमता है और अस्पताल प्रतिदिन औसतन 10 से 12 मरीजों की मौत की रिपोर्ट करता है। बरसात के मौसम में मौसमी बीमारियों के कारण मासिक मृत्यु का यह आंकड़ा औसतन 15 तक बढ़ जाता है।
डॉ. गजभिए ने बताया कि जो मरीज अस्पताल में दम तोड़ देते हैं, वे ज्यादातर अंतिम समय में रेफर किए गए मरीज होते हैं, जिन्हें आईसीयू की आवश्यकता होती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन मरीजों को अक्सर गंभीर स्थिति में जीएमसीएच लाया जाता है। यह अस्पताल विदर्भ क्षेत्र के 11 जिलों सहित पूरे मध्य भारत के मरीजों की सेवा करता है। डॉ. गजभिये ने आश्वस्त किया कि अस्पताल दवाओं और अन्य सुविधाओं का पर्याप्त भंडार रखता है।
इसी तरह, शहर के इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (आईजीजीएमसीएच) ने पिछले 24 घंटों में नौ मौतों की सूचना दी। नाम न छापने की शर्त पर अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर के अनुसार, अधिकांश मृतक मरीजों को गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया था, जिन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता थी।
आईजीजीएमसीएच की क्षमता 800 बिस्तरों की है और आम तौर पर प्रतिदिन औसतन छह मरीजों की मौत की रिपोर्ट आती है, क्योंकि अधिकांश मरीज अस्पताल में गंभीर अवस्था में लाए जाते हैं। अस्पताल विदर्भ क्षेत्र और मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के पड़ोसी जिलों के मरीजों को भी भर्ती करता है। वरिष्ठ डॉक्टर ने यह भी आश्वासन दिया कि अस्पताल उपलब्धता पर ध्यान रखता है और कम से कम तीन महीने के लिए पर्याप्त दवा स्टॉक रखता है।
जिला कलेक्टर डॉ. विपिन इटनकर ने उन “अफवाहों” को भी खारिज कर दिया कि नांदेड़ मेडिकल कॉलेज की तर्ज पर नागपुर के दोनों मेडिकल कॉलेजों में पिछले 24 घंटों में बड़ी संख्या में मरीजों की मौत हो गई। उन्होंने जोर देकर दावा किया कि मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों दोनों में चिकित्सा आपूर्ति की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा, “मैंने दोनों मेडिकल कॉलेजों के डीन को बुलाया है और तथ्यों की पुष्टि की है। यह सरासर अफवाह है।”