अमरावती, 27 अप्रैल (भाषा) आंध्र प्रदेश के 3,200 करोड़ रुपये शराब घोटाले के कथित मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी के दौरान विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जारी रिमांड नोट में आरोप लगाया गया है कि वाईएसआरसीपी के शीर्ष नेता उन शराब ब्रांड से प्रतिमाह 50-60 करोड़ रुपये की रिश्वत वसूलते थे, जिन्हें सरकारी दुकानों के माध्यम से बिक्री में प्राथमिकता दी गई थी।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी का पूर्व सहयोगी के राजशेखर रेड्डी उर्फ राज कासीरेड्डी इस घोटाले का मुख्य आरोपी है। उसके रिमांड नोट में आरोप लगाया गया है कि इस गिरोह की शुरुआत 2019 में हुई थी तथा हर महीने जो ‘रिश्वत की राशि’ वसूली जाती थी, उसे हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली के हवाला संचालकों के माध्यम से सफेद किया जाता था।
हालांकि, शनिवार को वाईएसआरसीपी ने इन आरोपों को नकारते हुए, तेदेपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार पर पार्टी नेताओं के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित शराब घोटाले की कहानी गढ़ने और इसे फैलाने के लिए मीडिया का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
एसआईटी ने कथित मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया था और 22 अप्रैल को यहां एक अदालत के न्यायाधीश के समक्ष पेश रिमांड नोट में आरोपी की न्यायिक हिरासत का अनुरोध किया था।
रिमांड नोट में आरोप लगाया गया है कि सरकारी खुदरा दुकानों के माध्यम से बिक्री के लिए डिस्टिलरी (शराब की फैक्टरी) से शराब की खरीद के लिए ऑर्डर देने की स्वचालित प्रणाली में कथित रूप से हेराफेरी की गयी, राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित ब्रांड को हटा दिया गया और निर्धारित सीमा से कहीं अधिक नए ब्रांड के ऑर्डर दिए गए। इसमें आरोप लगाया गया है कि सस्ते ब्रांडों के लिए 150 रुपये प्रति ‘केस’, मध्यम श्रेणी के ब्रांडों के लिए 200 रुपये और उच्च श्रेणी के ब्रांडों के लिए 600 रुपये प्रति ‘केस’ की रिश्वत वसूली गई।
उसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि वसूली गयी यह रकम कासीरेड्डी (तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी का आईटी सलाहकार) को सौंपी जाती थी, जो इस पैसे को वी विजय साई रेड्डी मिथुन रेड्डी एवं अन्य वाईएसआरसीपी नेताओं तक पहुंचा देता था। इस तरह रिश्वत के तौर पर 3200 करोड़ रुपये की वसूली की गयी थी।
एसआईटी ने स्थानीय अदालत में पेश रिमांड नोट में कहा कि जांच के दौरान फर्जी कंपनियों, मौखिक गवाही और पुष्टि करने वाले स्रोतों का जाल पाया गया। रिश्वत के रूप में वसूली गई धनराशि को सोना/‘बुलियन’ खातों, रियल एस्टेट कंपनियों में अंतरित किया गया और और हवाला के जरिए उनका धन शोधन किया गया।
रिमांड नोट में कहा गया है, ‘‘यह साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, भ्रष्टाचार और धनशोधन का मामला है, जिससे सरकारी खजाने /डिस्टिलरी को भारी नुकसान हुआ और प्रभावशाली व्यक्तियों/पसंदीदा डिस्टिलरी/पसंदीदा आपूर्तिकर्ताओं को 3,200 करोड़ रुपये से अधिक का गलत लाभ हुआ। यह घोटाला एपी स्टेट बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड, विजयवाड़ा में अक्टूबर 2019 और मार्च 2024 के बीच हुआ।’’
रिमांड रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य आरोपी कासीरेड्डी ने ‘इकबालिया बयान’ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है।
भाषा राजकुमार दिलीप
दिलीप