जेल, कैदियों से संबंधित ब्रिटिश काल के ‘अप्रचलित’ कानूनों को बदलने के उद्देशय से पेश किया गया विधेयक
जेल, कैदियों से संबंधित ब्रिटिश काल के ‘अप्रचलित’ कानूनों को बदलने के उद्देशय से पेश किया गया विधेयक
नागपुर, 13 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने कारागारों और सुधार सेवाओं से संबंधित ‘‘एकीकृत, प्रगतिशील और मजबूत कानूनी ढांचा’’ स्थापित करने के उद्देश्य से शनिवार को राज्य विधानसभा में एक विधेयक पेश किया।
यह विधेयक ब्रिटिश काल के पुराने कानूनों को प्रतिस्थापित करेगा।
महाराष्ट्र कारागार एवं सुधार सेवा अधिनियम, 2025 नाम के इस विधेयक का उद्देश्य कैदियों के पुनर्वास व रिहाई के बाद समाज में उनके पुनः एकीकरण को सुदृढ़ करना है।
विधेयक में विभिन्न श्रेणियों के कारागारों, एक समर्पित कारागार बल और समकालीन सुधारवादी तौर-तरीकों के अनुरूप आधुनिक सुधार सेवाओं का प्रावधान है। विधेयक का उद्देश्य स्वतंत्रता-पूर्व कारागार अधिनियम, 1894 और कारागार अधिनियम, 1900 को प्रतिस्थापित करना है।
प्रस्तावित कानून के तहत, राज्य सरकार 800 या इससे अधिक कैदियों की क्षमता वाली जेलों को केंद्रीय कारागार, प्रथम श्रेणी (300 से 799 कैदी), द्वितीय श्रेणी (151 से 299) और तृतीय श्रेणी (51 से 150) के जिला कारागार, साथ ही विशेष जेल, खुली जेल, महिला जेल, अस्थायी जेल, खुली कॉलोनियों और बोर्स्टल संस्थानों में वर्गीकृत करेगा।
सरकार ने कहा कि विधेयक में जेल और सुधार सेवाओं के महानिदेशक के नेतृत्व में एक कारागार बल के गठन का प्रावधान है तथा कैदियों के पुनर्वास व सामाजिक पुनर्एकीकरण में सहायता के लिए खुली जेलों और खुली कॉलोनियों की शुरुआत की गई है।
विधेयक में कैदियों को विभिन्न श्रेणियों में अलग करने का भी प्रावधान है और महिलाओं, ट्रांसजेंडरों, विचाराधीन कैदियों, दोषी कैदियों, उच्च सुरक्षा वाले कैदियों, आदतन एवं बार-बार अपराध करने वाले अपराधियों, युवा अपराधियों और नागरिक कैदियों की विशेष आवश्यकताओं को हल किया गया है।
इस विधेयक में महिला और ट्रांसजेंडर कैदियों के लिए विशेष प्रावधान शामिल हैं, जिनमें जेल अस्पतालों में महिलाओं के लिए अलग वार्ड और जरूरतमंद कैदियों को रिहाई के बाद पुनर्वास सेवाएं प्रदान करना शामिल है।
भाषा जितेंद्र नेत्रपाल
नेत्रपाल

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