Mehul Choksi Fraud Case : मेहुल चोकसी को कोर्ट से बड़ा झटका! भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

उच्च न्यायालय ने जनवरी 2020 को विशेष अदालत द्वारा पारित अंतिम आदेश पर रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति कोतवाल ने उक्त आदेश पर से बृहस्पतिवार को रोक हटा दी।

Mehul Choksi Fraud Case : मेहुल चोकसी को कोर्ट से बड़ा झटका! भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

 Mehul Choksi's plea dismiss

Modified Date: September 21, 2023 / 06:11 pm IST
Published Date: September 21, 2023 5:55 pm IST

Mehul Choksi’s plea dismiss : मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उसे भगोड़ा आर्थिक घोषित करने के लिए दी गई अर्जी को चुनौती दी थी। चोकसी करीब 14,500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में आरोपी है। न्यायमूर्ति सांरग कोतवाल की एकल पीठ ने कहा कि उसे ईडी की अर्जी में कोई खामी नजर नहीं आती।

अदालत ने कहा, ‘‘पहला, मुझे (आवेदन के) सत्यापन में कोई खामी नहीं दिखती और इसके अलावा भी मैंने पाया कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी (एफईओ) अधिनियम की धारा-4 और धारा-3 की अर्हताओं को इस मामले में उचित तरीके से पूरा किया गया है।’’ चोकसी ने अपने आवदेन में दावा किया था कि ईडी की अर्जी में कई प्रक्रियागत खामिया हैं।

चोकसी ने अगस्त 2019 में विशेष अदालत द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि वह ईडी द्वारा दाखिल अर्जी पर सुनवाई करेगी जिसमें चोकसी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने का अनुरोध किया गया था।

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ईडी ने जुलाई 2018 में अदालत में अर्जी दाखिल की थी जिसमें चोकसी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने और उसकी संपत्ति जब्त करने का अनुरोध किया गया था।

चोकसी ने दावा किया एजेंसी ने आवेदन जमा करने में तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया और इसलिए इसकी कोई वैधता नहीं है।

उच्च न्यायालय की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि ईडी द्वारा दिया गया आवेदन भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम में तय प्रारूप के तहत जमा किया गया है।

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न्यायमूर्ति कोतवाल ने टिप्पणी की कि एफईओ अधिनियम की प्रस्तावना महत्वपूर्ण है जिसमें उल्लेख किया गया है कि यह अधिनियम उन भगोड़ा आर्थिक अपराधियों के लिए है जो भारतीय अदालतों के न्यायाधिकारक्षेत्र से बाहर रहकर भारतीय न्याय प्रक्रिया से बचते हैं।

उच्च न्यायालय ने जनवरी 2020 को विशेष अदालत द्वारा पारित अंतिम आदेश पर रोक लगा दी थी। न्यायमूर्ति कोतवाल ने उक्त आदेश पर से बृहस्पतिवार को रोक हटा दी।

 


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com