2006 Mumbai Local Train Blasts Case: मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, सभी आरोपियों को किया बरी

2006 Mumbai Local Train Blasts Case: 11 जुलाई 2006 को हुए मुंबई लोकल ट्रेन बम ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला

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  • Publish Date - July 21, 2025 / 10:55 AM IST,
    Updated On - July 21, 2025 / 10:58 AM IST

2006 Mumbai Local Train Blasts Case/Image Credit: ANI X Handle

HIGHLIGHTS
  • मुंबई लोकल ट्रेन बम ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला।
  • हाई कोर्ट ने सभी आरोपियों को किया बरी।
  • 11 जुलाई 2006 को मुंबई में लोकल ट्रेन में हुए थे सीरियल ब्लास्ट।

मुंबई: 2006 Mumbai Local Train Blasts Case: 11 जुलाई 2006 को हुए मुंबई लोकल ट्रेन बम ब्लास्ट मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस मामले में निचली अदालत की ओर से दोषी ठहराए गए 12 में से 11 आरोपियों को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बरी कर दिया है। एक आरोपी की अपील प्रक्रिया के दौरान मौत हो गई है। इस मामले में फैसला 19 सालों के बाद आया है।

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सबूतों में थी गंभीर खामियां : हाई कोर्ट

2006 Mumbai Local Train Blasts Case: हाई कोर्ट की स्पेशल बैंच ने अपने फैसले में कहा कि, ‘मामले में पेश किए गए सबूत विश्वसनीय नहीं थे’ और ‘कई गवाहों की गवाही संदेह के घेरे में थी।’ अदालत ने यह भी स्वीकार किया कि, आरोपियों से जबरन पूछताछ कर उनके बयान लिए गए, जो कानूनन मान्य नहीं हैं।

अदालत की तरफ से कहा गया कि, आरोपियों के खिलाफ जो सबूत पेश किए गए थे उन सबूतों में गंभीर खामियां थी। पहचान परेड को चुनौती देने के बचाव पक्ष के तर्कों को न्यायसंगत माना गया। कुछ गवाह कई सालों तक चुप रहे और फिर अचानक आरोपियों की पहचान की, जो ‘असामान्य’ है। ऐसे मामलों में पहले भी कई अन्य गवाह पेश हुए थे, जो की उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। कथित आरडीएक्स और अन्य सामग्री की बरामदगी को लेकर कोई पुख्ता वैज्ञानिक सबूत नहीं पेश किया गया।

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रोते हुए नजर आए केस से जुड़े लोग

2006 Mumbai Local Train Blasts Case:  न्यायालय की तरफ से कहा गया कि, ‘गवाही, जांच और सबूत पुख्ता नहीं थे. आरोपी यह साबित करने में सफल रहे कि उनसे जबरदस्ती कबूलनामे लिए गए थे।’न्यायाधीशों ने कहा, ‘हमने अपना कर्तव्य निभाया है। यह हमारी जिम्मेदारी थी।’ वहीं दूसरी तरफ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े दोषी अमरावती, नासिक, नागपुर और पुणे की जेलों से रोते हुए दिखे। किसी ने खुशी नहीं जताई, सभी की आंखों में आंसू थे।

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न्यायलय का फैसला मार्गदर्शक: सरकारी वकील

2006 Mumbai Local Train Blasts Case:  आरोपियों की तरफ से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता युग मोहित चौधरी ने कहा कि, ‘यह फैसला उन सभी के लिए उम्मीद की किरण है, जो सालों से न्याय का इंतजार कर रहे हैं।’ सरकारी वकील राजा ठकारे ने भी फैसले को ‘मार्गदर्शक’ बताया।

मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में क्या हुआ था?

11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में सात बम धमाके हुए थे, जिनमें 189 लोगों की मौत और 800 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

कितने लोगों को दोषी ठहराया गया था?

2015 में 12 लोगों को दोषी ठहराया गया था। 2024 में हाई कोर्ट ने 11 को बरी कर दिया, जबकि एक आरोपी की मौत हो चुकी है।

हाई कोर्ट ने सभी लोगों को क्यों बरी किया?

हाई कोर्ट ने कहा कि सबूत विश्वसनीय नहीं थे, गवाहों की गवाही विरोधाभासी थी और कबूलनामे जबरन लिए गए थे।

क्या मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में दोषियों को दोबारा सजा हो सकती है?

अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करती है, और वहां कोई नया प्रमाण या कानूनी पक्ष मजबूत होता है, तो फैसला पलट भी सकता है।

मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस का यह फैसला क्या संदेश देता है?

यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और सबूतों की मजबूती की अहमियत को दर्शाता है। साथ ही यह बताता है कि न्याय मिलने में भले समय लगे, लेकिन सच के पक्ष में फैसला हो सकता है।