मुंबई: Mumbai Jain Temple: बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने विले पार्ले इलाके में कथित तौर पर अनधिकृत जैन मंदिर को गिरा दिया। समुदाय के सदस्यों ने इस कार्रवाई को अनुचित बताया। इस कार्रवाई से पहले नगर निगम ने मंदिर को नोटिस भेजा था। जिसके खिलाफ जैन समाज ने एक याचिका भी दायर की थी। इस पर 17 अप्रैल को सुनवाई होनी थी। ब्रह्ममुंबई की टीम की कार्रवाई सुनवाई से पहले ही की गई। इसके कारण जैन समुदाय के लोग आक्रामक हो गए हैं। उन्होंने शनिवार को अहिंसक तरीके से अपना गुस्सा जाहिर किया। हजारों की तादाद में महिलाएं–पुरुष सड़कों पर नारे लगाते हुए नजर आए। सभी ने काली पट्टी बांधकर बीएमसी का विरोध किया।
Mumbai Jain Temple: कांबलीवाड़ी में नेमिनाथ सहकारी आवास सोसाइटी के अंदर स्थित मंदिर (चैतलया) के ट्रस्टी अनिल शाह ने कहा कि इसे 16 अप्रैल को ढहा दिया गया। शाह ने बताया कि यह संरचना 1960 के दशक की थी और बीएमसी की अनुमति से इसका जीर्णोद्धार कराया गया था। उन्होंने दावा किया, ‘एक सरकारी प्रस्ताव है जिसमें कहा गया है कि ऐसी संरचनाओं को नियमित किया जा सकता है। आपको केवल बीएमसी को नियमितीकरण के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा और हमने वह प्रस्ताव प्रस्तुत किया था।’’ शाह ने दावा किया कि मंदिर को ढहाए जाने के दौरान कुछ धार्मिक पुस्तकें और मंदिर का सामान भी क्षतिग्रस्त हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई एक स्थानीय होटल व्यवसायी के इशारे पर की गई थी।
बताया जा रहा है कि ध्वस्तीकरण के दौरान जैन धार्मिक नेताओं ने विशेष अनुरोध किया था कि मंदिर की धार्मिक पुस्तकें और वस्तुएं हटाने का समय दिया जाए, लेकिन BMC ने इस आग्रह को अनदेखा करते हुए JCB से सीधा अभियान शुरू कर दिया। इस दौरान नगर निगम कर्मचारियों पर आरोप है कि उन्होंने जैन धर्म की पवित्र किताबें और पूज्य वस्तुएं सड़क पर फेंक दीं। इस घटनाक्रम ने न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को आहत किया, बल्कि जैन समाज को आंदोलित कर दिया। समाज की यह भी मांग है कि जिस स्थान पर मंदिर था, उसे वहीं फिर से स्थापित किया जाए।
मंदिर के ट्रस्टियों ने कहा कि हमने अधिकारियों से अदालत के फैसले तक इंतजार करने का अनुरोध किया था, लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी। अनिल शाह ने कहा कि जैन बंधु आज मंदिर तोड़े जाने के विरोध में अहिंसक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस विरोध प्रदर्शन से पहले जैन बंधुओं ने उस मंदिर में आरती की जहां यह कार्रवाई की गई थी। इसके अलावा जैन बंधुओं ने सवाल पूछा है कि किसके आदेश पर इस मंदिर को तोड़ा गया?