उपनिवेशवाद ने बहुलवाद को दबा दिया, परंपराओं को महत्व देने की जरूरत है: जयशंकर
उपनिवेशवाद ने बहुलवाद को दबा दिया, परंपराओं को महत्व देने की जरूरत है: जयशंकर

(तस्वीरों के साथ)
मुंबई, दो मई (भाषा) विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि अतीत में बड़ी शक्तियों के प्रभुत्व एवं उपनिवेशवाद ने बहुलवाद को दबा दिया था तथा वैश्विक व्यवस्था को लोकतांत्रिक बनाने के प्रयासों के बीच परंपराओं, विरासत एवं विचारों को महत्व देना आवश्यक है।
जयशंकर ने यहां ‘विश्व दृश्य श्रव्य और मनोरंजन सम्मेलन’ (वेव्स) में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ ‘ग्लोबल मीडिया डायलॉग’ को संबोधित करते हुए प्रतिभाओं के लिए सहज गतिशीलता सुनिश्चित करने की भी जोरदार वकालत की ताकि वे रचनात्मकता में और योगदान दे सकें।
जयशंकर ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के युग की अपार संभावनाओं को भी रेखांकित किया और कहा कि ‘‘प्रौद्योगिकी और परंपरा को साथ-साथ चलना चाहिए।’’
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते प्रभाव के बीच विदेश मंत्री ने आगाह किया कि उभरती प्रौद्योगिकियों का गैर-जिम्मेदाराना उपयोग बढ़ती चिंता का विषय होगा और पूर्वाग्रह को कम करना, विषय-वस्तु का लोकतंत्रीकरण करना तथा इसकी नैतिकता को प्राथमिकता देना, ये सभी उभरते विमर्श का हिस्सा होंगे।
जयशंकर ने 60 देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘सच्चाई यह है कि दुनिया मूलतः, कुदरती रूप से और अनिवार्य रूप से विविधतापूर्ण है तथा अतीत में उपनिवेशवाद और बड़ी शक्तियों के प्रभुत्व दोनों ने बहुलवाद को दबा दिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि हम अब अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का लोकतंत्रीकरण करना चाहते हैं, ऐसे में केवल राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता पर जोर देना पर्याप्त नहीं है। यह भी उतना ही आवश्यक है कि हम अपनी परंपराओं, अपनी विरासत, विचारों, प्रथाओं और अपनी रचनात्मकता को महत्व दें।’’
जयशंकर ने कहा कि दुनिया में कई आवाज, कई अनुभव और कई सत्य हैं और हर किसी को खुद को अभिव्यक्त करने का अधिकार है तथा ऐसा करने में उनकी मदद की जानी चाहिए।
मंत्री ने अभिव्यक्ति के अधिकार को सुगम बनाने के लिए प्रौद्योगिकी की शक्ति का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अनुप्रयोग और विकास में, हमें इस विश्वास से निर्देशित होना चाहिए कि आधुनिकता अतीत की अस्वीकृति नहीं है, बल्कि मानवीय उपलब्धियों पर आधारित एक निरंतर खोज है। इस कारण से, प्रौद्योगिकी और परंपरा को साथ-साथ चलना चाहिए।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘हमें यह भी ध्यान में रखना है कि नवाचार उस छलांग के लिए महत्वपूर्ण है जिससे 2047 तक एक विकसित भारत का निर्माण होगा – जिसे हम विकसित भारत कहते हैं।’’
उन्होंने कहा कि हम डिजिटल संपर्क और भौतिक रूप से माल के परिवहन, भंडारण का वैश्विक कार्यस्थल बना रहे हैं और कार्यबल इसे एक वास्तविकता बना रहा है।
उन्होंने इस बात को भर रेखांकित किया कि ऐसे युग में जहां सूचना का प्रवाह अत्यधिक है, युवा प्रतिभाओं को खुद को केंद्र में लाने के लिए तैयार करने की आवश्यकता है।
मंत्री ने कहा, ‘‘आज सूचना का अतिरेक है और चुनौती यह है कि ध्यान कैसे आकर्षित किया जाए। यह चुनौती ही हमारे युग को रचनात्मक-संवाद, रचनात्मक खेल और रचनात्मक सहयोग का युग बनाएगी। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है कि युवा प्रतिभाओं को इसके लिए तैयार किया जाए, जिसमें कौशल प्रसार भी शामिल है।’’
जयशंकर ने कहा कि एआई का युग कल्पना से परे संभावनाओं से भरा है और इतने बड़े क्षेत्र में इतने गहरे बदलावों की कभी कल्पना नहीं की गई थी।
उन्होंने कहा,‘‘इससे पहले हम इतने विविध क्षेत्रों के नवाचारों को इतने प्रभावी ढंग से नहीं जोड़ पाए। अतीत और वर्तमान के बारे में हमारी समझ को नए सिरे से परिभाषित किया जा सकता है, भले ही हम भविष्य के लिए काम कर रहे हों, जिसके सभी परिणाम हमारे साथ जुड़े हुए हैं।’’
मंत्री ने कहा कि प्रत्येक प्रगति के साथ कुछ समस्याएं भी आती हैं और एआई भी इससे अलग नहीं है।
जयशंकर ने कहा कि इस दौर की राजनीति प्रामाणिकता की चुनौतियों का सामना करेगी, वहीं व्यवसायों को नयी बौद्धिक संपदा चुनौतियों से निपटना होगा क्योंकि वे नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देते हैं।
विदेशमंत्री ने कहा, ‘‘ उभरती हुई प्रौद्योगिकियों का जिम्मेदारी से उपयोग एक बड़ी चिंता होगी। पूर्वाग्रह को कम करना, विषय-वस्तु का लोकतंत्रीकरण करना और इसकी नैतिकता को प्राथमिकता देना, ये सभी उभरते हुए विमर्श का हिस्सा हैं। और वहां बहुत कुछ है जो सामने आएगा।’’
भाषा धीरज पवनेश
पवनेश