मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने इस सप्ताह दिवाली के दौरान मुंबई वासियों के लिए आतिशबाजी का समय शाम सात बजे से रात 10 बजे तक सीमित करते हुए सोमवार को कहा कि नागरिकों को बीमारी मुक्त वातावरण और दिवाली के दौरान पटाखे चलाने के बीच किसी एक का चयन करना होगा। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि वह आतिशबाजी पर प्रतिबंध नहीं लगाने वाली, लेकिन शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के गिरते स्तर को देखते हुए संतुलन की जरूरत है। अदालत ने कहा, ‘‘हमें किसी एक को चुनना होगा। या तो बीमारी मुक्त वातावरण या फिर हम आतिशबाजी करके पर्व मनाएं। अब फैसला नागरिकों को करना है।’’
उसने कहा, ‘‘हम इस पर रोक नहीं लगा रहे। हम विशेषज्ञ नहीं हैं जो समझ सकें कि क्या पटाखे पर्यावरण को प्रभावित करते हैं और यदि करते हैं तो किस हद तक। हम सीधे यह नहीं कह सकते कि पटाखे नहीं चलाये जाएं। इस बारे में विचार करने का काम सरकार का है।’’ अदालत ने कहा कि प्रतिबंध लगाना आसान नहीं होगा क्योंकि इस मुद्दे पर लोगों की अलग-अलग राय है और संविधान में नागरिकों को धर्म के अनुसरण का अधिकार प्रदान किया गया है।
उसने कहा, ‘‘हालांकि, हम आतिशबाजी के लिए एक समय-सीमा तय कर सकते हैं। नगर निगम के अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि दिवाली पर आतिशबाजी शाम सात बजे से रात 10 बजे के बीच हो।’’