मुंबई, 31 दिसंबर (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय ने अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों को निकाय चुनाव ड्यूटी पर उपस्थित रहने का आदेश देने संबंधी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) आयुक्त के पत्रों पर रोक लगा दी और आयुक्त की शक्ति एवं अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाए।
मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की पीठ ने मंगलवार रात मुख्य न्यायाधीश के आवास पर हुई विशेष सुनवाई के दौरान कहा कि बीएमसी आयुक्त को उच्च न्यायालय या अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी के लिए उनकी सेवाएं लेने संबंधी कोई पत्र या संचार जारी करने से रोका जाता है। बीएमसी आयुक्त जिला निर्वाचन अधिकारी की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं।
पीठ ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि उच्च न्यायालय की प्रशासनिक न्यायाधीश समिति ने सितंबर 2008 में निर्णय लिया था कि उच्च न्यायालय और सभी अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी से छूट दी जाएगी।
अदालत ने बीएमसी प्रमुख द्वारा शहर की सभी अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी पर रिपोर्ट करने का निर्देश देने वाले 22 दिसंबर के पत्र का स्वत: संज्ञान लिया। बीएमसी चुनाव 15 जनवरी को होंगे।
उसी दिन, मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने बीएमसी आयुक्त और मुंबई शहर के जिलाधिकारी को सूचित किया कि उच्च न्यायालय ने अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों के संबंध में प्रशासनिक निर्णय लिया है और उन्होंने अदालत कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी से छूट देने का अनुरोध किया।
इसी तरह का एक पत्र रजिस्ट्रार (निरीक्षण) द्वारा भी भेजा गया था जिसमें निकाय प्रमुख को उच्च न्यायालय द्वारा पारित प्रशासनिक आदेश की जानकारी दी गई।
इसके बावजूद, आयुक्त ने 29 दिसंबर को पत्र जारी कर मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट को सूचित किया कि अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों को छूट देने का अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया है।
बीएमसी की ओर से पेश अधिवक्ता कोमल पंजाबी ने आयुक्त द्वारा जारी पत्र वापस लेने का मंगलवार को अनुरोध किया।
अदालत ने यह अनुरोध ठुकरा दिया और नगर निकाय आयुक्त-सह-जिला निर्वाचन अधिकारी को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया कि जिला न्यायपालिका के कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी पर रिपोर्ट करने के निर्देश उन्होंने ‘‘किस शक्ति और अधिकार क्षेत्र’’ के तहत जारी किए।
अदालत ने उच्च न्यायालय द्वारा सितंबर 2008 में लिए गए निर्णय का हवाला देते हुए निकाय प्रमुख को निर्देश दिया कि वह अदालत के कर्मचारियों को 22 दिसंबर को भेजे गए एकतरफा पत्राचार के आधार पर कोई कार्रवाई न करें।
पीठ ने भारत निर्वाचन आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग और महाराष्ट्र सरकार को भी हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की आगे की सुनवाई पांच जनवरी को निर्धारित की।
राज्य निर्वाचन आयोग के उप सचिव मंगलवार रात सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश हुए और अदालत को बताया कि आयोग सामान्यतः चुनाव ड्यूटी के लिए अदालत के कर्मचारियों की सेवाएं नहीं लेता।
भाषा सिम्मी मनीषा
मनीषा