नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) देश हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा के लिए दीर्घकालिक नीतिगत ढांचे, प्रौद्योगिकी अपनाने पर जोर और प्रोत्साहन-आधारित विनिर्माण से अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल कर सकेगा। विशेषज्ञों ने यह बात कही।
विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में भी कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना उद्योग के लिए प्राथमिकता बना रहेगा।
वोल्क्स एनर्जी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एवं सह-संस्थापक पीयूष गोयल ने कहा कि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो न केवल जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक हैं बल्कि भारत की औद्योगिक वृद्धि को ऊर्जा देने, ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने एवं उपभोक्ताओं को किफायती बिजली सुनिश्चित करने के लिए भी अहम हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ ग्रिड के उन्नयन एवं भंडारण (स्टोरेज) को तेजी से अपनाने को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में देखा जाना चाहिए क्योंकि भारत का भविष्य का ऊर्जा मिश्रण इन दोनों पर निर्भर करेगा। इसके अलावा, इन्वर्टर, बैटरी और अन्य महत्वपूर्ण घटकों के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने से आयात पर निर्भरता घटेगी और आपूर्ति-श्रृंखला की मजबूती बढ़ेगी।’’
कार्बन क्रेडिट कंपनी ईकेआई एनर्जी सर्विसेज के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) मनीष डाबकरा ने कहा कि हरित हाइड्रोजन, उन्नत भंडारण रसायन और ‘स्मार्ट ग्रिड’ प्रणालियों जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में अस्थिरता (इंटरमिटेंसी) और ‘रैम्पिंग’ लचीलापन जैसी चुनौतियों से निपटने की क्षमता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ विशेषकर हाइब्रिड नवीकरणीय ऊर्जा, अपतटीय पवन ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन के लिए स्थिर और दीर्घकालिक नीतिगत ढांचे, निजी एवं वैश्विक पूंजी के निरंतर प्रवाह को आकर्षित करने में निर्णायक होंगे।’’
रेटिंग एजेंसी इक्रा लिमिटेड में ‘कॉरपोरेट रेटिंग्स’ के उपाध्यक्ष एवं सह-समूह प्रमुख अंकित जैन ने कहा, ‘‘ हालांकि पीपीए/पीएसए पर हस्ताक्षर में देरी के कारण वित्त वर्ष 2025-26 के पहले आठ महीनों में केवल 8.6 गीगावॉट की बोली लगने से निविदा गतिविधियां धीमी रहीं लेकिन क्षमता विस्तार को बनाए रखने के लिए पारेषण अवसंरचना एक प्राथमिक क्षेत्र बनी हुई है।’’
उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी बिजली कंपनी मेजा ऊर्जा निगम प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) अमित रौतेला ने कहा कि 30 सितंबर 2025 तक भारत ने कुल 500.89 गीगावॉट की स्थापित विद्युत क्षमता के साथ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है। इसमें से गैर-जीवाश्म स्रोतों से 256.09 गीगावॉट (51 प्रतिशत) और जीवाश्म ईंधन से 244.80 गीगावॉट (49 प्रतिशत) है। यह भारत की शुद्ध शून्य प्रतिबद्धता की दिशा में ठोस प्रगति को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि यह क्षमता विस्तार एवं ऐतिहासिक रूप से कम नवीकरणीय ऊर्जा शुल्क यह साबित करते हैं कि ऊर्जा बदलाव अब तेजी से लागत-प्रतिस्पर्धी और वित्तीय रूप से विश्वसनीय बनता जा रहा है।
भाषा निहारिका मनीषा
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