मुंबई, 15 अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र सरकार हिरासत के दौरान अप्राकृतिक कारणों से जान गंवाने वाले कैदी के परिजन को पांच लाख रुपये का मुआवजा देगी।
महाराष्ट्र मंत्रिमडल ने मंगलवार को अपनी एक बैठक में इस संबंध में एक नीति को मंजूरी दी।
इस नीति के तहत यदि कोई कैदी हिरासत में आत्महत्या कर लेता है तो उसके परिवार को एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिलेगी।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के निर्देश के आधार पर मुआवजा नीति पर निर्णय लिया गया।
यदि किसी कैदी की मृत्यु दुर्घटना, चिकित्सा लापरवाही, जेल अधिकारियों के हमले या कैदियों के बीच लड़ाई के कारण हुई हो तो उसके परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, ‘‘अगर ऐसे मामलों में जेल प्रशासन की लापरवाही साबित होती है तो मृतक कैदी के परिजनों को मुआवजे के तौर पर पांच लाख रुपये दिए जाएंगे। अगर कोई कैदी आत्महत्या करता है तो उसके परिजनों को एक लाख रुपये मिलेंगे।’’
बयान में कहा गया है कि लेकिन, यदि किसी कैदी की मृत्यु वृद्धावस्था से संबंधित बीमारियों, लंबी बीमारी, हिरासत से भागने की कोशिश करते समय दुर्घटनावश, जमानत पर बाहर रहने या किसी बीमारी का उपचार कराने से इनकार करने के कारण होती है तो प्रभावित परिवार को कोई मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
बयान में कहा गया है, ‘‘यह नीति राज्य की सभी जेलों पर लागू होगी। मुआवजा देने के लिए जेल अधीक्षक को प्रारंभिक जांच, पोस्टमार्टम, पंचनामा (मृत्यु से जुड़ी परिस्थितियों का विवरण), न्यायिक और मजिस्ट्रेट जांच एवं अन्य दस्तावेजों से संबंधित रिपोर्ट क्षेत्रीय प्रमुख को सौंपनी होगी।’’
उसमें कहा गया है, ‘‘क्षेत्रीय प्रमुख एक विस्तृत जांच करेंगे और पुणे में अतिरिक्त महानिदेशक/महानिरीक्षक (जेल और सुधार सेवाएं) को अंतिम प्रस्ताव (भुगतान के लिए) सौंपेंगे। सरकार उनकी सिफारिशों के आधार पर (मुआवज़े पर) निर्णय लेगी और दोषी पाए गए अधिकारियों (लापरवाही या प्रशासनिक चूक) के खिलाफ भी कार्रवाई करेगी।’’
भाषा राजकुमार अविनाश
अविनाश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)