सरकार अपना काम करेगी, आप अपना करें : औरंगजेब की कब्र विवाद पर राणे ने हिंदूवादी संगठनों से कहा

सरकार अपना काम करेगी, आप अपना करें : औरंगजेब की कब्र विवाद पर राणे ने हिंदूवादी संगठनों से कहा

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  • Publish Date - March 17, 2025 / 07:40 PM IST,
    Updated On - March 17, 2025 / 07:40 PM IST

पुणे, 17 मार्च (भाषा) दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने के लिए किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के बीच महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने बाबरी विध्वंस का हवाला देते हुए सोमवार को कहा कि हिंदूवादी संगठन अपना कर्तव्य निभाएं और सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाएगी।

विवादास्पद टिप्पणियां करने के लिए मशहूर राणे ने छत्रपति शिवाजी महाराज को “धर्मनिरपेक्ष राजा” करार देने के प्रयासों की भी निंदा की।

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने छत्रपति संभाजीनगर जिले के खुल्दाबाद में औरंगजेब की कब्र को ‘दर्द और गुलामी का प्रतीक’ बताते हुए इसे हटाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया।

राणे ने कहा, ‘सरकार अपना काम करेगी, जबकि हिंदूवादी संगठनों को अपना काम करना चाहिए। जब ​​बाबरी मस्जिद को गिराया जा रहा था तो हमने बैठकर एक-दूसरे से बात नहीं की। हमारे कारसेवकों ने वही किया जो उचित था।’

उन्होंने शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर पुणे जिले में उनके जन्मस्थान शिवनेरी किले में एक सभा को संबोधित करते हुए यह बात कही।

विहिप ने महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में सरकारी कार्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया और औरंगजेब की कब्र को हटाने के लिए ज्ञापन सौंपे।

राणे ने शिवाजी महाराज को एक ‘धर्मनिरपेक्ष राजा’ के रूप में चित्रित करने की भी निंदा की।

उन्होंने कहा, ‘हमें लगातार इस बात पर जोर देना चाहिए कि शिवाजी महाराज हिंदवी स्वराज्य के संस्थापक थे। इस पहचान को बार-बार दोहराया जाना चाहिए ताकि कुछ समूहों द्वारा उन्हें धर्मनिरपेक्ष राजा के रूप में चित्रित करने के प्रयासों को शिवाजी महाराज के सच्चे भक्तों के रूप में (हमारे द्वारा) विफल किया जा सके।’

राणे ने दोहराया कि शिवाजी महाराज की सेना में कभी मुस्लिम सैनिक नहीं थे।

राणे ने कहा कि औरंगजेब की कब्र के संबंध में हिंदूवादी संगठनों की मांग महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, ‘यह एक महत्वपूर्ण दिन है। एक मंत्री के तौर पर मैं खुलकर कितना कुछ कह सकता हूं, इसकी सीमाएं हैं, लेकिन आप सभी मेरे विचार जानते हैं। आज मैं मंत्री हूं, कल शायद न रहूं, लेकिन अपनी आखिरी सांस तक मैं हिंदू ही रहूंगा।’

भाषा

शुभम प्रशांत

प्रशांत