नागपुर, 10 दिसंबर (भाषा) खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) मंत्री नरहरि जिरवाल ने बुधवार को राज्य विधानसभा में बताया कि पिछले एक साल में महाराष्ट्र भर में खराब गुणवत्ता वाली दवाओं की बिक्री के कारण 176 खुदरा विक्रेताओं और 39 थोक विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द किए गए हैं।
जिरवाल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक अमित सतम और अन्य विधायकों द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि एफडीए द्वारा शुरू किए गए एक विशेष अभियान के तहत खांसी के सिरप और अन्य दवाओं के नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए थे।
उन्होंने बताया, “176 खुदरा विक्रेताओं और 39 थोक विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द किए गए। इसके अलावा, 136 खुदरा विक्रेताओं और 93 थोक विक्रेताओं का निरीक्षण किया गया। खराब गुणवत्ता वाले खांसी के सिरप बेचने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए गए और लाइसेंस रद्द किए गए।”
जिरवाल ने बताया कि अक्टूबर 2024 में एफडीए के अभियान के दौरान दवा दुकानों और कंपनियों में नकली कफ सिरप पाए गए थे।
उन्होंने बताया कि चिकित्सकों, क्लीनिकों और फार्मासिस्टों को प्रोप्रानोलोल युक्त दवाएं न तो लिखने और न ही बेचने के निर्देश दिए गए थे।
मंत्री ने बताया कि मुंबई, ठाणे, पुणे, औरंगाबाद और नागपुर संभागों में 10 स्थानों पर 36 नमूनों की जांच की गई, जिनमें से 34 खराब गुणवत्ता वाले पाए गए।
उन्होंने बताया कि इनमें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, तपेदिक, हृदय रोग और रक्त शोधन की दवाएं शामिल थीं।
राज्य में बच्चों के कफ सिरप के एक विशेष ब्रांड के छह नमूने भी खराब गुणवत्ता के पाए गए।
उन्होंने बताया कि कई जिलों में औषधि निरीक्षकों के 176 पद खाली होने के कारण दवाओं के परीक्षण और नियंत्रण कार्य प्रभावित हुआ है।
महाराष्ट्र में मुंबई, नागपुर और पुणे में तीन परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं।
जिरवाल ने बताया कि औषधि निरीक्षकों के 109 पद महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरे जाएंगे।
भाषा जितेंद्र रंजन
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