शराब की दुकानें संचालित करने के लिए पंजीकृत आवासीय समितियों की अनुमति जरूरी: अजित पवार

शराब की दुकानें संचालित करने के लिए पंजीकृत आवासीय समितियों की अनुमति जरूरी: अजित पवार

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  • Publish Date - December 10, 2025 / 03:23 PM IST,
    Updated On - December 10, 2025 / 03:23 PM IST

नागपुर, 10 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बुधवार को कहा कि भारत में निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफएल) और देसी शराब बेचने वाली दुकानों को अपने परिसरों में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से संचालन शुरू करने से पहले पंजीकृत आवासीय समितियों से अनिवार्य सहमति प्राप्त करनी होगी।

आबकारी विभाग के प्रमुख पवार ने निर्देश दिया कि इस नयी नीति को पूरे राज्य में लागू किया जाये।

पवार ने पुणे जिले के चिंचवड विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा विधायक शंकर जगताप द्वारा उठाए गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए राज्य विधानमंडल के निचले सदन में बताया, ‘‘अब दोनों श्रेणियों की शराब की दुकानों के लिए पंजीकृत आवासीय समितियों से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। इस नीति को पूरे महाराष्ट्र में समान रूप से लागू किया जाना चाहिए।’’

जगताप ने पुणे के चिंचवड-कालेवाड़ी क्षेत्र में संचालित शराब की दुकानों के लाइसेंस रद्द करने की मांग की।

चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि सह्याद्री सोसाइटी में स्थित शराब की दुकान ‘विक्रांत वाइन’ ने नियमों का उल्लंघन करते हुए अपना संचालन शुरू कर दिया था।

जगताप ने कहा कि अनुमति दिए जाने के समय भवन निर्माण का काम अधूरा था और लाइसेंस अधूरे दस्तावेजों के आधार पर जारी किया गया था और उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

पवार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शराब की दुकानों के लिए संबंधित आवासीय समिति की सहमति की अनिवार्य आवश्यकता को दोहराया और सदन को उन दो दुकानों के संबंध में की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी दी जिनके खिलाफ शिकायतें प्राप्त हुई थीं।

इस साल मार्च में आयोजित राज्य विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान, पवार ने घोषणा की थी कि यदि शराब की दुकानें आवासीय समितियों के परिसर में स्थानांतरित होना चाहती हैं तो उनके लिए आवासीय समितियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करना अनिवार्य होगा।

कई आवासीय समितियों में व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं, जिनमें से कुछ में शराब की दुकानें भी हैं।

भाषा

देवेंद्र रंजन

रंजन