नासिक (महाराष्ट्र), 21 नवंबर (भाषा) सेना की दक्षिणी कमान के ‘जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ’ लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने शुक्रवार को यहां कहा कि युद्ध में जीत मशीन नहीं बल्कि उन्हें संचालित करने वाले ‘एविएटर्स’ का कौशल, निर्णय और दृढ़ संकल्प जीत दिलाते हैं।
उन्होंने यहां ‘कॉम्बैट आर्मी एविएशन ट्रेनिंग स्कूल’ (सीएएटीएस) में पासिंग आउट परेड का निरीक्षण करने के बाद कहा कि युद्ध का स्वरूप दशकों में अभूतपूर्व गति से बदला है, जिसमें सटीक भिड़ंत, हवाई क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा, बहु-क्षेत्रीय एकीकरण और तीव्र गति से अभियानों को अंजाम देना शामिल है।
लेफ्टिनेंट जनरल सेठ ने कहा कि इस विकसित होते अभियानगत माहौल में, सैन्य उड्डयन सेना को एक लचीला, भरोसेमंद और अपरिहार्य तीसरा आयाम प्रदान करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मानवयुक्त और मानवरहित उपकरणों का हमारा मिश्रण कमांडरों को असाधारण अभियानगत पहुँच प्रदान करता है, जिसमें टोह और निगरानी से लेकर चीजों को ले जाना, हमला और सटीक भिड़ंत तक शामिल हैं। ये क्षमताएँ मिलकर सैन्य उड्डयन को एक निर्णायक लड़ाकू गुणक बनाती हैं।’’
सैन्य अधिकारी ने कहा कि कुछ नयी प्रौद्योगिकियों के शामिल होने से ये क्षमताएं और मजबूत होंगी।
उन्होंने कहा, ‘‘फिर भी, इस अत्याधुनिक क्षमता के बावजूद, एक सच्चाई हमेशा स्थिर रहती है। मशीनें लड़ाई नहीं जीततीं, बल्कि उन्हें चलाने वाले ‘एविएटर्स’ का कौशल, निर्णय और दृढ़ संकल्प जीत दिलाता है… इसलिए यह उचित ही है कि सीएएटीएस को आरपीए (सुदूर विमान परिचालन) और युद्धक हवाई युद्धाभ्यास के लिए विशेषज्ञता केंद्र के रूप में नामित किया गया है।’’
लेफ्टिनेंट जनरल सेठ ने ‘पास आउट’ होने वाले कैडेटों को महत्वपूर्ण सलाह देते हुए कहा कि उन्हें याद रखना चाहिए कि प्रत्येक उड़ान के लिए ‘‘परिस्थिति की पूर्ण जागरूकता, प्रक्रियाओं का पालन, मशीन के प्रति सम्मान और मिशन सुरक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता’’ की आवश्यकता होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘युद्धक उड़ान में, लाभ कम होता है और जोखिम अधिक होते हैं। कभी भी लक्ष्मण रेखा पार न करें और सुरक्षा से समझौता न करें या मिशन को खतरे में न डालें।’’
भाषा
नेत्रपाल नरेश
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