महाराष्ट्र सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत उपाय शुरू किए

महाराष्ट्र सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत उपाय शुरू किए

महाराष्ट्र सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत उपाय शुरू किए
Modified Date: September 25, 2025 / 11:08 pm IST
Published Date: September 25, 2025 11:08 pm IST

मुंबई, 25 सितंबर (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत उपाय शुरू किए हैं, जिनमें मृतकों के परिजनों को वित्तीय सहायता, फसलों और पशुधन के नुकसान के लिए मुआवजा तथा क्षतिग्रस्त मकानों के लिए भी सहायता शामिल है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

सरकारी घोषणा के अनुसार, बाढ़ में मारे गए लोगों के परिवार को चार लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। पशुधन नुकसान के मामले में मवेशियों के लिए भी मुआजवा निर्धारित किया गया है।

बकरियों, भेड़ों या सूअरों के लिए प्रति जानवर 4,000 रुपये की राहत प्रदान की जाएगी। प्रति परिवार तीन बड़े पशुओं और 30 छोटे पशुओं तक मुआवजे की सीमा निर्धारित की गई है।

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मुर्गीपालकों के लिए प्रति मुर्गी 100 रुपये की सहायता दी जाएगी, जिसकी अधिकतम सीमा प्रति परिवार 10,000 रुपये रखी गई है।

जिन परिवारों के घर नष्ट हो गए हैं उन्हें झोपड़ी के लिए 8,000 रुपये और पूरी तरह ढहे चुके पक्के घर के लिए 12,000 रुपये का मुआवजा मिलेगा। क्षतिग्रस्त पशुशालाओं के लिए 3,000 रुपये तक की सहायता प्रदान की जाएगी।

सरकार ने उन किसानों के लिए भी राहत की घोषणा की है जिनकी फसलें बाढ़ से खराब हो गईं। उन्हें वर्षा-आधारित फसलों के लिए प्रति हेक्टेयर 8,500 रुपये, सिंचित फसलों के लिए 17,000 रुपये और बारहमासी फसलों के लिए 22,500 रुपये मिलेंगे।

जिन मामलों में बाढ़ में कृषि भूमि बर्बाद हो गई है, वहां पुनर्स्थापित होने योग्य भूमि के लिए 18,000 रुपये प्रति हेक्टेयर दिए जाएंगे।

यह घोषणा राज्य में भारी बारिश के कारण हुए व्यापक विनाश के बीच की गई है। मराठवाड़ा क्षेत्र में 20 सितंबर से अब तक बाढ़ में कम से कम नौ लोगों की मौत हो चुकी है और 30,000 हेक्टेयर से अधिक फसलों को नुकसान हुआ है।

सरकार के अनुसार, इस महीने राज्य के 31 जिलों में लगातार बारिश हो रही है। अब तक 50 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि और फसलें प्रभावित हुई हैं। सरकार ने राज्य आपदा राहत कोष से 2,215 करोड़ रुपये जारी किए हैं और केंद्र से और वित्तीय सहायता की मांग की है।

भाषा सुमित वैभव

वैभव


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