महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव: कांग्रेस ने राष्ट्रीय समाज पक्ष के साथ गठबंधन किया

महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव: कांग्रेस ने राष्ट्रीय समाज पक्ष के साथ गठबंधन किया

महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनाव: कांग्रेस ने राष्ट्रीय समाज पक्ष के साथ गठबंधन किया
Modified Date: December 24, 2025 / 07:24 pm IST
Published Date: December 24, 2025 7:24 pm IST

मुंबई, 24 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र में आगामी महानगर पालिका और जिला परिषद चुनावों के लिए कांग्रेस ने धनगर समुदाय के नेता महादेव जानकर के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय समाज पक्ष (आरएसपी) के साथ गठबंधन की बुधवार को घोषणा की।

जानकर और कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि दोनों दल संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट हो रहे हैं। हालांकि, उन्होंने सीट बंटवारे के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।

महाराष्ट्र में बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) सहित 29 महानगर पालिकाओं के चुनाव के लिए मतदान 15 जनवरी 2026 को होना है। वहीं, जिला परिषद चुनावों का औपचारिक कार्यक्रम अभी घोषित नहीं किया गया है, लेकिन उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार चुनाव 31 जनवरी से पहले संपन्न कराए जाएंगे।

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सपकाल ने कहा कि कांग्रेस हमेशा से समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ हाथ मिलाने की इच्छुक रही है।

उन्होंने जानकर के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘जिस तरह कांग्रेस और राष्ट्रीय समाज पक्ष ने नगरपालिका और पंचायत चुनावों के दौरान कई क्षेत्रों में मिलकर काम किया था, उसी तरह वे नगर निगम और जिला परिषद चुनाव भी एक साथ लड़ेंगी।’’

सपकाल ने जानकर को बहुजन समुदाय की सशक्त आवाज बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि देश में लोकतंत्र और संविधान को कमजोर किया जा रहा है।

सपकाल ने कहा, “ऐसी स्थिति में समान विचारधारा वाली पार्टियों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।”

हालांकि, सपकाल ने कहा कि नगरपालिका चुनावों के दौरान कांग्रेस और राष्ट्रीय समाज पक्ष के बीच किसी औपचारिक गठबंधन की घोषणा नहीं की गई थी, लेकिन दोनों पार्टियों ने सतारा, सांगली, मराठवाड़ा और विदर्भ जैसे क्षेत्रों में एक साथ चुनाव लड़ा था।

जानकर ने कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहू महाराज, महात्मा फुले और डॉ. बीआर आंबेडकर की विचारधारा से प्रेरित है। उन्होंने सपकाल की बात को दोहराते हुए कहा कि संविधान और लोकतंत्र को बचाना सीटों की संख्या से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।

भाषा धीरज पारुल

पारुल


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