जालना में लाठीचार्ज के खिलाफ मराठा संगठनों का, अजीत पवार से पद छोड़ने को कहा

जालना में लाठीचार्ज के खिलाफ मराठा संगठनों का, अजीत पवार से पद छोड़ने को कहा

जालना में लाठीचार्ज के खिलाफ मराठा संगठनों का, अजीत पवार से पद छोड़ने को कहा
Modified Date: September 4, 2023 / 03:57 pm IST
Published Date: September 4, 2023 3:57 pm IST

पुणे, चार सितंबर (भाषा) मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर जालना में पुलिस लाठीचार्ज के खिलाफ विभिन्न मराठा संगठनों ने सोमवार को पुणे जिले के बारामती शहर में प्रदर्शन किया और उपमुख्यमंत्री अजित पवार से शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार छोड़ने को कहा।

विपक्षी दलों शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस के नेता एवं कार्यकर्ता पुणे शहर के कोथरुड इलाके में सड़कों पर उतरे और सरकार को मराठा समुदाय के धैर्य की परीक्षा नहीं लेने की चेतावनी दी।

वहीं, बारामती में मराठा संगठनों के सदस्यों ने राकांपा के स्थानीय विधायक और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ नारे लगाए तथा उनसे शिवसेना-भाजपा सरकार से अलग होने की मांग की। सदस्यों ने गृह विभाग संभालने वाले भाजपा नेता एवं उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ भी नारेबाजी की।

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पुणे में प्रदर्शन के दौरान राकांपा (शरद पवार गुट) नेता अंकुश काकड़े ने कहा, ‘एकनाथ शिंदे नीत सरकार में उपमुख्यमंत्री फडणवीस पिछले एक साल से मराठा आरक्षण के लिए कोई भी प्रयास करने में नाकाम रहे हैं। मराठाओं के धैर्य की परीक्षा न लें।’

काकड़े ने आरोप लगाया कि पुलिस को राज्य सरकार से जालना जिले में मराठा आंदोलन को कुचलने के आदेश मिले थे।

पुलिस ने शुक्रवार को जालना जिले के अंतरवाली सारथी गांव में हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए उस समय लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे, जब प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों को भूख हड़ताल पर बैठे एक व्यक्ति को चिकित्सकों की सलाह पर अस्पताल में भर्ती कराने के लिए ले जाने से रोकने की कोशिश की थी।

हिंसा के दौरान करीब 40 पुलिसकर्मी सहित कई लोग घायल हो गए थे, जबकि 15 से अधिक सरकारी बसों को आग के हवाले कर दिया गया था।

मराठा समुदाय को महाराष्ट्र सरकार की नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दाखिले में वर्ष 2018 में आरक्षण दिया गया था, जब फडणवीस राज्य के मुख्यमंत्री थे। हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने मई 2021 में कुल आरक्षण की सीमा 50 फीसदी होने सहित अन्य कारणों का हवाला देते हुए इसे रद्द कर दिया था।

भाषा पारुल अविनाश

अविनाश


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