मुंबई: brother sister had sex इस दुनिया में भाई और बहन के बीच खून का रिश्ता होता है। बहन अपने भाई को हर साल रखासूत्र पहनाती है, तो वहीं दूसरी ओर भाई अपनी बहन की रक्षा करता है। लेकिन कई बार ये रिश्ता तार-तार हो जाता है। ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से सामने आया है। जहां एक नाबालिग भाई ने अपनी ही नाबालिग बहन को प्रेग्नेंट कर दिया।
brother sister had sex वाशी पुलिस ने बताया कि 13 साल के लड़के पर अपनी 15 साल की बड़ी बहन के साथ कथित तौर पर बलात्कार करने और उसे गर्भवती करने का मामला दर्ज किया गया है। मामले का खुलासा तब हुआ जब उनके माता पिता ने अपनी नाबालिग बेटी को लेकर वाशी अस्पताल गए हुए थे। जिसके बाद उनके परिवार ने मुंबई हाईकोर्ट में अर्जी लगाई।
दरअसल, 24 सप्ताह से ज्यादा अगर गर्भावस्था हो और गर्भपात कराना हो तो पहले हाई कोर्ट से इजाजत लेनी पड़ती है। इसी मामले में कोर्ट ने पीड़िता की हालत को देखते हुए 24 सप्ताह के गर्भपात की इजाजत दी है।
बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति संदीप मार्ने और न्यायमूर्ति नीला गोखले की अवकाश पीठ ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि स्थिति की तात्कालिकताओं को ध्यान में रखते हुए, साथ ही नाबालिग के हित और उसकी सुरक्षा को देखते हुए 24 सप्ताह के गर्भपात की इजाजत दी है।
कथित तौर पर 15 साल की नाबालिग के साथ उसके 13 वर्षीय भाई ने बलात्कार किया था। इस महीने की शुरुआत में लड़की ने अपनी मां से पेट दर्द की शिकायत की और जब उसे अस्पताल ले जाया गया तो पता चला की वो प्रेग्नेंट है। जब पीड़िता की मां ने उससे सवाल जवाब किया तो उसने बताया कि, जब घर पर कोई नहीं होता था तो उसका भाई उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाता था। इसके बाद मां ने अपने बेटे के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। मां के शिकायत पर बेटे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई और उसे किशोर गृह भेज दिया गया।
पीड़िता की मां ने गर्भपात कराने के लिए मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। 9 मई को हाई कोर्ट ने बोर्ड को लड़की की जांच करने का निर्देश दिया था। लड़की की मां ने अधिवक्ता एशले कुशर के माध्यम से उच्च न्यायालय में गर्भावस्था के चिकित्सीय समापन की अनुमति मांगी, क्योंकि उनकी बेटी का गर्भ समापन के लिए 24 सप्ताह की कानूनी सीमा से ज्यादा हो चुका था।
जस्टिस संदीप मार्ने और जस्टिस नीला गोखले की बेंच ने जेजे हॉस्पिटल मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर किया, जिसे एडवोकेट ज्योति चौहान ने साबित किया था। गर्भवती बच्ची के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को देखते हुए कोर्ट ने गर्भपात की अनुमति दे दी। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक गर्भवती ने यौन उत्पीड़न झेला है, वह 25 सप्ताह 4 दिन की गर्भवती है। पीठ ने अपने फैसले के दौरान इस बात पर भी गौर किया कि लड़की काफी समय तक इस बात से अनजान थी कि वह गर्भवती थी।