2015 और 2019 के बीच जितने नये वन लगाये गये, उससे कहीं ज्यादा वन नष्ट हुए: आईआईटी अध्ययन

2015 और 2019 के बीच जितने नये वन लगाये गये, उससे कहीं ज्यादा वन नष्ट हुए: आईआईटी अध्ययन

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  • Publish Date - August 5, 2025 / 09:24 PM IST,
    Updated On - August 5, 2025 / 09:24 PM IST

मुंबई, पांच अगस्त (भाषा) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बंबई (आईआईटी बंबई) द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आया है कि 2015 से 2019 तक भारत में प्रत्येक एक वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र बढ़ने के साथ ही 18 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र नष्ट हो गया।

आईआईटी के प्रोफेसर राज रामशंकरन ने सस्त्र मानद विश्वविद्यालय के डॉ. वासु सत्यकुमार और श्रीधरन गौतम के साथ मिलकर यह अध्ययन किया, जिसमें कहा गया है कि इस अवधि के दौरान सभी राज्यों में वन क्षेत्र में शुद्ध हानि हुई।

शोधकर्ताओं ने ‘कोपरनिकस ग्लोबल लैंड सर्विस (सीजीएलएस) लैंड कवर मैप’ से प्राप्त डिजिटल वनक्षेत्र मानचित्रों पर भरोसा किया।

अध्ययन में कहा गया है कि 56.3 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र में हुई वृद्धि का लगभग आधा हिस्सा आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और राजस्थान में हुआ, जबकि तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में कुल 1,032.89 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र का लगभग आधा हिस्सा नष्ट हुआ।

अध्ययन में कहा गया है कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि नए वन क्षेत्र में आधे से ज़्यादा हिस्सा छोटे-छोटे क्षेत्रों में हैं या खंडित हैं, जिससे ‘संरचनात्मक संपर्क’ में कोई सुधार नहीं होता।

डॉ. सत्यकुमार ने कहा, ‘‘हमारे परिणाम स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि 2015 से 2019 तक जोड़े गए अधिकांश वन छोटे-छोटे, अत्यधिक खंडित और पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील क्षेत्र थे। वर्तमान मात्रा-आधारित वनीकरण दृष्टिकोण से आगे बढ़ने और वन नियोजन में संरचनात्मक संयोजकता को स्पष्ट रूप से शामिल करने की आवश्यकता है।’’

अध्ययन में कहा गया है कि बड़े, निरंतर वन पारिस्थितिकीय रूप से स्वस्थ होते हैं और समृद्ध जैव विविधता को बढ़ावा देते हैं, जो प्राकृतिक और मानव निर्मित व्यवधानों के प्रति लचीले होते हैं और स्वयं ही वृद्धि कर सकते हैं।

भाषा

राजकुमार सुरेश

सुरेश