Bombay High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए एक 13 साल की किशोर लड़की से रेप के आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया। आरोपी को जमानत देते हुए हाई कोर्ट जस्टिस ने इसे अपराध नहीं माना। न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फाल्के ने कहा कि ‘ऐसा लगता है कि यौन संबंध की कथित घटना दो युवाओं के बीच आकर्षण से हुआ है और ऐसा नहीं है कि आवेदक ने पीड़िता का यौन उत्पीड़न किया है।’
आपको बता दें कि नागपुर में एक हैरान कर देने वाला वाक्या सामने आया है। यहां बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक 13 वर्षीय बच्ची से रेप के आरोपी को जमानत दे दी। बड़ी बात यह है कि आरोपी को जमानत देते हुए हाई कोर्ट जस्टिस ने कृत्य को अपराध नहीं माना। हाई कोर्ट जस्टिस ने कहा कि यह रेप नहीं बल्कि दोनों का प्रेम संबंध था। कथित यौन संबंध वासना से नहीं बल्कि आकर्षण से हुआ था।
अब इस मामले में जज की टिप्पणी और आरोपी के जमानत देने के बाद की गई टिप्पणी को लेकर विवाद शुरू हो गया है। कई लोगों ने आरोपी को जमानत दिए जाने को लेकर सवाल खड़े किए हैं। बता दें कि न्यायमूर्ति उर्मिला जोशी-फाल्के ने कहा कि लड़की ने अपने बयान में कहा कि उसने स्वेच्छा से अपना घर छोड़ दिया था। वह आरोपी के साथ रही, जिसकी उम्र भी 26 साल है। दोनों ने प्रेम संबंध स्वीकार किए हैं।
दरअसल, पीड़िता के पिता ने अगस्त 2020 में 13 वर्षीय बेटी के लापता होने की सूचना दी थी। पुलिस ने लड़की को ट्रैक करना शुरू किया। उसके बाद लड़की एक 26 साल के लड़के के साथ मिली। लड़की ने कहा कि वह युवक नितिन दामोदर धबेराव से प्यार करती है। उसने कहा कि वह उसी के साथ रहना चाहती है। चूंकि लड़की कि उम्र मात्र 13 साल थी इसलिए पुलिस ने नितिन को गिरफ्तार किया और लड़की को उसके परिवार को सौंप दिया।
शिकायत के बाद पुलिस ने नितिन के खिलाफ आईपीसी की धारा 363,376,376 (2) (एन) 376 (3) के साथ-साथ पॉस्को अधिनियम की धारा 34 और धारा 4,6 और 17 के तहत मामला दर्ज किया गया था। अमरावती जिले के अंजनगांव सुरजी पुलिस ने 30 अगस्त, 2020 को आवेदक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उसके खिलाफ आरोप पत्र 26 अक्टूबर, 2020 को दाखिल किया गया था।
लड़की ने अपने बयान में कहा कि उसके और आरोपी के बीच रोमांटिक संबंध थे, और उसने उसे शादी का वादा करके नहीं बहकाया था। अदालत ने कहा कि मुकदमे में कोई प्रगति नहीं हुई है और 13 वर्षीय लड़की की सहमति मायने नहीं रखती है। अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी के दर्ज किए गए बयान उसके स्वेच्छा से घर से जाने का संकेत देते हैं। अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि कथित घटना जबरन हमले के मामले के बजाय दो युवाओं के बीच सहमति के संबंध का परिणाम प्रतीत होती है। आरोपी ने अपनी गिरफ्तारी के बाद से लगभग 3 साल जेल में बिताए, जिसे ध्यान में रखकर जमानत दे दी।
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