जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं, ओबीसी नेताओं से मुलाकात करुंगा : छगन भुजबल

जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं, ओबीसी नेताओं से मुलाकात करुंगा : छगन भुजबल

जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं, ओबीसी नेताओं से मुलाकात करुंगा : छगन भुजबल
Modified Date: December 18, 2024 / 09:43 pm IST
Published Date: December 18, 2024 9:43 pm IST

नासिक, 18 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र के नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने के बाद अपने अगले कदम को लेकर चल रही अटकलों के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के असंतुष्ट नेता छगन भुजबल ने बुधवार को कहा कि वह जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेंगे।

उन्होंने कहा कि मुंबई में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) नेताओं के साथ चर्चा के बाद “संभावित अगला कदम” उठाया जाएगा।

वहीं शिवसेना विधायक सुहास कांडे ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भुजबल को मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने के विरोध में राकांपा से इस्तीफा देने की चुनौती दी।

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नासिक में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए भुजबल ने “ओबीसी के साथ अन्याय” के खिलाफ लड़ाई को सड़कों पर ले जाने की घोषणा की।

देवेंद्र फडणवीस के विस्तारित मंत्रिमंडल से बाहर रखे जाने पर रविवार से नाराज चल रहे भुजबल ने एक बार फिर राकांपा प्रमुख अजित पवार पर परोक्ष हमला किया और इस घटनाक्रम के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया।

भुजबल के “जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना” वाले बयान ने उनके भविष्य के राजनीतिक कदम को लेकर अटकलों को जन्म दे दिया था। भुजबल अपने समर्थकों और उनके नेतृत्व वाली समता परिषद के सदस्यों के साथ बैठकें कर रहे हैं।

उन्होंने अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, “मैं एक-दो दिन में मुंबई जाऊंगा और देश और महाराष्ट्र के ओबीसी नेताओं से मिलूंगा। चर्चा के बाद, शायद मुझे अगला कदम उठाना होगा।”

उन्होंने कहा कि प्रश्नों का समाधान जल्दबाजी में नहीं किया जा सकता तथा निर्णय सोच-समझकर लिया जाना चाहिए।

राज्य के पूर्व खाद्य आपूर्ति मंत्री ने कहा, “(राकांपा के कार्यकारी अध्यक्ष) प्रफुल्ल पटेल और (राज्य इकाई के अध्यक्ष) सुनील (तटकरे) ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की कि मुझे (मंत्रिमंडल में) शामिल किया जाए। यहां तक ​​कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी आखिरी क्षण तक मुझे शामिल करने पर जोर देते रहे। लेकिन मुझे शामिल नहीं किया गया।”

अजित पवार का नाम लिए बगैर भुजबल ने कहा कि अन्य दलों के नेताओं पर आरोप लगाना व्यर्थ है, क्योंकि हर नेता अपनी पार्टी के लिए जिम्मेदार है।

उन्होंने रैली में कहा, “मैं कई बार मंत्री बना और विपक्ष में भी बैठा। मैं दुखी नहीं हूं, लेकिन अपमान से मुझे दुख पहुंचा है। (ओबीसी) समुदाय के मुद्दों को सुलझाने के लिए कौन ढाल बनेगा? मैं ओबीसी के मुद्दे पर महाराष्ट्र और अन्य राज्यों का दौरा करूंगा।”

शिवसेना विधायक सुहास कांडे ने बुधवार को अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भुजबल को मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने के विरोध में राकांपा से इस्तीफा देने की चुनौती दी।

कांडे ने एक समाचार चैनल से बात करते हुए कहा, “मुझे छगन भुजबल पर दया आती है। उनमें राकांपा छोड़ने का साहस नहीं है। अगर वह खुद को जुझारू मानते हैं तो इस्तीफा क्यों नहीं दे देते?”

उन्होंने कहा कि भुजबल ओबीसी समुदाय के अकेले प्रतिनिधि नहीं हैं। नांदगांव विधायक ने कहा, “उन्हें मंत्री पद न दिए जाने का मतलब यह नहीं है कि ओबीसी पर विचार नहीं किया जा रहा है।”

हालिया विधानसभा चुनावों में कांडे ने नांदगांव विधानसभा क्षेत्र से भुजबल के भतीजे और पूर्व सांसद समीर भुजबल को हराया था।

भाषा प्रशांत अविनाश

अविनाश


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