मुंबई, 15 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टी शिवसेना (उबाठा) के नेता आदित्य ठाकरे ने सोमवार को आरोप लगाया कि पुरानी ‘पगड़ी’ व्यवस्था के तहत किराए पर लिए गए भवनों के लिए राज्य सरकार द्वारा नया नियामकीय ढांचा लाने के पीछे की असली मंशा मुंबई से इन इमारतों के निवासियों को बेदखल करना और मकान मालिकों और बिल्डरों को लाभ पहुंचाना है।
उन्होंने मांग की कि इन इमारतों या घरों में रहने वाले सभी किरायेदारों को कानूनी रूप से रहने वाला घोषित किया जाए और उन्हें संरक्षण दिया जाए।
उपमुख्यमंत्री और आवास विभाग भी संभाल रहे एकनाथ शिंदे ने पिछले सप्ताह मुंबई में ‘पगड़ी’ व्यवस्था के तहत प्रबंधित भवनों के पुनर्विकास के लिए एक नए नियामक ढांचे की घोषणा की, इसे एक ‘ऐतिहासिक निर्णय’ बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य अंततः शहर को ऐसी संपत्तियों से मुक्त करना है।
ठाकरे ने कहा, ‘‘ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जहां इमारतें जर्जर हालत में हैं और उनमें रहने वालों को बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है। आवास मंत्री द्वारा की गई घोषणा भूमि मालिकों और बिल्डरों के लिए है।’’
उन्होंने यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया,‘‘वे पगड़ी व्यवस्था वाले इन घरों में रहने वाले लाखों मुंबईवासियों को शहर से बाहर निकालना चाहते हैं।’’
ठाकरे ने कहा कि शिंदे द्वारा बैनरों पर लिखा ‘पगड़ी-मुक्त मुंबई’ का नारा भ्रामक है।
वर्ली से शिवसेना (उबाठा)विधायक ने कहा कि नई नीति में कहा गया है कि पुनर्विकास के बाद भी निवासियों को उतना ही (कार्पेट) क्षेत्र मिलेगा। उन्होंने सवाल किया, ‘‘यदि भवन या आवासीय परिसर का पुनर्विकास होता है, तो उन्हें अधिक स्थान क्यों नहीं मिलना चाहिए?’’
शिंदे ने नियामक ढांचा लाने के पीछे दलील देते हुए कहा था कि इनमें से कुछ इमारतों का पुनर्निर्माण किया गया है, जबकि कई इमारतें ढह गईं और लगभग 13,000 संरचनाएं पुनर्निर्माण की प्रतीक्षा कर रही हैं।
उप मुख्यमंत्री ने कहा था कि इन इमारतों में रहने वाले किरायेदारों को महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम के तहत संरक्षण प्राप्त है, जबकि मकान मालिक दावा करते हैं कि किरायेदारों के व्यापक अधिकारों के कारण उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिलता है।
‘पगड़ी व्यवस्था’ एक किराया नियंत्रण व्यवस्था है। इसने दशकों तक दक्षिण और मध्य मुंबई के अधिकांश हिस्सों में आवास व्यवस्था को आकार दिया है।
इस पारंपरिक किरायेदार मॉडल के तहत, किरायेदार घर का आंशिक मालिक होता है और नाममात्र किराया देता है, साथ ही उसे संपत्ति को उप-किराए पर देने और बेचने का अधिकार भी होता है। किरायेदार एकमुश्त भुगतान और नाममात्र किराए के बदले लगभग आजीवन उक्त मकान में रहते हैं।
भाषा धीरज दिलीप
दिलीप