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Gedi Dance Bilaspur: लाल किले में गूंजा “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया”, UNESCO ने छत्तीसगढ़ के गेड़ी नृत्य की तारीफ की, 180 देशों के सामने लोक संस्कृति का जादू
Gedi Dance Bilaspur: लाल किले में गूंजा “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया”, UNESCO ने छत्तीसगढ़ के गेड़ी नृत्य की तारीफ की, 180 देशों के सामने लोक संस्कृति का जादू
Publish Date - December 15, 2025 / 06:08 PM IST,
Updated On - December 15, 2025 / 06:09 PM IST
Gedi Dance Bilaspur/Image Source: IBC24
HIGHLIGHTS
लाल किले में छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति की धूम
दुनिया ने सराहा छत्तीसगढ़ का गेड़ी नृत्य,
लाल किले में हुआ शानदार प्रदर्शन
रायपुर: Gedi Dance Bilaspur: छत्तीसगढ राज्य के बिलासपुर जिले की सांस्कृतिक संस्था ‘लोक श्रृंगार भारती’ के गेड़ी लोक नृत्य दल द्वारा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) व संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के आमंत्रण पर नई दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला प्रांगण में गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। 7 से 13 दिसम्बर तक आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समारोह में 180 देशों के प्रतिनिधियों की सहभागिता रहीं। समारोह में बिलासपुर के गेड़ी नर्तक दल ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति को काफी सराहा गया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस गेडी नर्तक दल को बधाई और शुभकामनाएं दीं है l
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत प्रभावित हुए। उन्होंने “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” का नारा दिया
Gedi Dance Bilaspur: समारोह का ऐतिहासिक क्षण तब आया जब भारत के महापर्व दीपावली को यूनेस्को द्वारा विश्व सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता प्रदान की गई। इस उपलब्धि में छत्तीसगढ़ के गेड़ी लोक नृत्य दल की प्रस्तुति को विशेष सराहना मिली गेड़ी नृत्य की भावपूर्ण और साहसिक प्रस्तुति से केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत प्रभावित हुए। उन्होंने “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” कहकर कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
गेड़ी नृत्य दल ने अपने रोमांचक प्रदर्शन से अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों को रोमांचित कर दिया
Gedi Dance Bilaspur: मुख्य गायक एवं नृत्य निर्देशक अनिल गढ़ेवाल के कुशल नेतृत्व में गेड़ी नृत्य दल ने अपने सशक्त, ऊर्जावान एवं रोमांचक प्रदर्शन से अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों को रोमांचित कर दिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, विभिन्न राज्यों के कलाकारों सहित 180 देशों के डेलिगेट्स उपस्थित रहे।
यूनेस्को के महानिदेशक डॉ. खालिद एन. एनानी सहित 180 देशों के प्रतिनिधियों ने गेड़ी नृत्य दल के साथ स्मृति चित्र लिए
Gedi Dance Bilaspur: मुख्य गायक अनिल गढ़ेवाल द्वारा प्रस्तुत “काट ले हरियर बांसे” गीत ने विदेशी प्रतिनिधियों के मन में छत्तीसगढ़ी संस्कृति के प्रति गहरी जिज्ञासा उत्पन्न की। वहीं मुख्य मांदल वादक मोहन डोंगरे द्वारा एक ही स्थान पर घूमते हुए मांदल वादन किया। हारमोनियम वादक सौखी लाल कोसले एवं बांसुरी वादक महेश नवरंग की स्वर लहरियों पर विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधि झूम उठे। गेड़ी नर्तकों प्रभात बंजारे, सूरज खांडे, शुभम भार्गव, लक्ष्मी नारायण माण्डले, फूलचंद ओगरे एवं मनोज माण्डले ने साहसिक करतबों से दर्शकों को रोमांचित किया। विशेष रूप से तब, जब एक गेड़ी पर संतुलन बनाते हुए कलाकारों ने मानवीय संरचनाएं बनाईं, पूरा प्रांगण तालियों से गूंज उठा।
गेड़ी नृत्य दल ने छत्तीसगढ़ राज्य को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक पहचान दिलाई
Gedi Dance Bilaspur: छत्तीसगढ़ की पारंपरिक वेशभूषा, कौड़ियों व चीनी मिट्टी की मालाएं, पटसन वस्त्र, सिकबंध एवं मयूर पंख धारण कर प्रस्तुत भाव नृत्य ने प्रस्तुति को और भी आकर्षक बना दिया। यूनेस्को के महानिदेशक डॉ. खालिद एन. एनानी सहित विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने गेड़ी नृत्य दल के साथ स्मृति चित्र लिया व छत्तीसगढ़ राज्य को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक पहचान दिलाने के लिए शुभकामनाएं दी।
"गेड़ी नृत्य बिलासपुर" को नई दिल्ली में कौन सा मंच मिला?
बिलासपुर के गेड़ी नृत्य दल को नई दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला प्रांगण में अंतर्राष्ट्रीय समारोह में प्रस्तुति देने का अवसर मिला, जिसे यूनेस्को और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार ने आमंत्रित किया।
"गेड़ी नृत्य बिलासपुर" की प्रस्तुति में मुख्य कलाकार कौन थे?
मुख्य गायक एवं नृत्य निर्देशक अनिल गढ़ेवाल के नेतृत्व में गेड़ी नृत्य दल ने अपने रोमांचक प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। अन्य प्रमुख कलाकारों में मोहन डोंगरे, सौखी लाल कोसले, महेश नवरंग और गेड़ी नर्तक प्रभात बंजारे, सूरज खांडे, शुभम भार्गव शामिल थे।
"गेड़ी नृत्य बिलासपुर" की प्रस्तुति का अंतर्राष्ट्रीय महत्व क्या है?
इस प्रस्तुति ने छत्तीसगढ़ की पारंपरिक कला और संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई। कार्यक्रम में 180 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और यूनेस्को के महानिदेशक डॉ. खालिद एन. एनानी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने कलाकारों के साथ स्मृति चित्र लिया।