मृत हिरणों के नमूने से ‘कैटर्रहल’ बुखार का संकेत मिला, पुणे चिड़ियाघर को निवारक उपाय करने का निर्देश

मृत हिरणों के नमूने से ‘कैटर्रहल’ बुखार का संकेत मिला, पुणे चिड़ियाघर को निवारक उपाय करने का निर्देश

मृत हिरणों के नमूने से ‘कैटर्रहल’ बुखार का संकेत मिला, पुणे चिड़ियाघर को निवारक उपाय करने का निर्देश
Modified Date: August 13, 2025 / 04:01 pm IST
Published Date: August 13, 2025 4:01 pm IST

पुणे, 13 अगस्त (भाषा) महाराष्ट्र के पुणे स्थित राजीव गांधी जीव उद्यान में मृत एक हिरण के नमूने में ‘घातक श्लेष्मिक ज्वर’ (एमसीएफ) का संकेत मिलने के बाद चिड़ियाघर को अपने जानवरों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

यह ज्वर एक गंभीर, घातक, वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से जुगाली करने वाले मवेशियों, हिरणों और बायसन (जंगली भैंसे) आदि जानवरों को प्रभावित करती है।

यह बीमारी हर्पीसवायरस के कारण होती है, जिसके कारण श्लेष्म झिल्ली में सूजन, अल्सर, और स्राव होता है।

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नगर निकाय द्वारा प्रबंधित इस चिड़ियाघर में 10 से 16 जुलाई के बीच 16 हिरणों की मौत हो गई थी।

अधिकारियों ने बताया कि मृत जानवरों के नमूने कई प्रयोगशालाओं में भेजे गए, जिनमें भुवनेश्वर स्थित ‘राष्ट्रीय खुरपका और मुंहपका रोग संस्थान’ और भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान शामिल हैं।

भुवनेश्वर स्थित प्रयोगशाला की रिपोर्ट के अनुसार, हिरणों की मौत का मुख्य कारण खुरपका-मुंहपका रोग था। वहीं भोपाल स्थित प्रयोगशाला की रिपोर्ट में 16 मृत हिरणों के नमूनों में से एक हिरण में घातक ‘एमसीएफ’ बुखार के संकेत मिलने की बात सामने आई है।

महाराष्ट्र के पशुपालन विभाग के आयुक्त प्रवीणकुमार देवरे ने बताया, “भोपाल स्थित प्रयोगशाला की रिपोर्ट के बाद केंद्र सरकार ने निगरानी के संबंध में एक परामर्श जारी कर हमें उपाय करने को कहा है। मैंने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) को पत्र लिखकर उनसे निवारक उपाय करने का अनुरोध किया है।”

देवरे के पत्र के अनुसार, ‘एमसीएफ’ एक बेहद घातक रोग है, जो मुख्य रूप से ओवाइन हर्पीसवायरस-2 (ओवीएचवी-2) के कारण होता है और भेड़ एवं बकरियां इसके लक्षणहीन वाहक हैं और भारत में अब तक इसकी सूचना नहीं मिली है।

पत्र के मुताबिक, ‘‘इस ज्वर के लिए वर्तमान में कोई प्रभावी उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है। प्रारंभिक पहचान, जैव सुरक्षा और अंतर-एजेंसी समन्वय इसके प्रसार को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं।”

केंद्र ने चिड़ियाघर और उसके आसपास सख्त जैव सुरक्षा एवं आवाजाही नियंत्रण उपायों और चिड़ियाघर के भीतर, विशेष रूप से हिरण, बायसन और मृगों के बीच, निगरानी बढ़ाने का सुझाव दिया है।

केंद्र ने प्रयोगशालाओं को नमूने इकट्ठा करने, चिड़ियाघर के जानवरों की नियमित स्वास्थ्य निगरानी और पूर्व चेतावनी प्रणालियों को मजबूत करने की भी सलाह दी है।

भाषा जितेंद्र सुरेश

सुरेश


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