अजित पवार के विवादित बयान पर शरद पवार ने कहा, ‘पैसों का वादा कर वोट मांगना गलत है’

अजित पवार के विवादित बयान पर शरद पवार ने कहा, 'पैसों का वादा कर वोट मांगना गलत है'

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  • Publish Date - November 27, 2025 / 05:45 PM IST,
    Updated On - November 27, 2025 / 05:45 PM IST

पुणे, 27 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के ‘वोट तुम्हारे हाथ में है तो निधि (कोष) हमारे हाथ में है’ वाले बयान पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के प्रमुख शरद पवार ने बृहस्पतिवार को उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वित्तीय आश्वासन के आधार पर वोट मांगना गलत है।

पुणे जिले के बारामती में संवादाताओं से बात करते हुए शरद पवार ने यह भी कहा कि बारिश और बाढ़ के कारण हुए नुकसान के लिए किसानों को राज्य सरकार द्वारा दी गई सहायता पर्याप्त नहीं है।

राकांपा (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) का नेतृत्व कर रहे अजित पवार ने पिछले सप्ताह पुणे जिले की बारामती तहसील के मालेगांव में मतदाताओं से कहा कि यदि वे उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को चुनेंगे तो शहर के लिए कोष की कमी नहीं होने देंगे लेकिन अगर मतदाताओं ने उन्हें ‘‘नकार’’ दिया गया, तो वह भी ‘‘नकार’’ देंगे।

राज्य के विभिन्न स्थानीय निकायों के चुनाव दो दिसंबर को होने वाले हैं।

उपमुख्यमंत्री की टिप्पणियों के बाद इस बात पर बहस चल रही है कि राज्य के कोष को कौन नियंत्रित करता है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शरद पवार ने कहा कि कितनी राशि दी जाए, इसे लेकर भी प्रतिस्पर्धा चल रही है।

शरद पवार ने कहा, “किए गए कामों के आधार पर वोट मांगने के बजाय अब वित्तीय आश्वासनों के सहारे वोट मांगे जा रहे हैं। यह ठीक बात नहीं है। अगर वित्तीय पहलुओं को सामने रखकर ही चुनाव जीतने का एकमात्र लक्ष्य हो तो ऐसी बातों पर टिप्पणी करने की आवश्यकता ही क्या है?”

हाल ही में राज्य के कुछ हिस्सों में भारी बारिश से नुकसान झेलने वाले किसानों को दी गई वित्तीय सहायता पर राकांपा (शरद पवार) प्रमुख ने कहा कि जिन किसानों को क्षति हुई है उन्हें पर्याप्त मदद उपलब्ध कराना बेहद जरूरी है।

उन्होंने कहा, “राज्य सरकार ने किसानों से कर्ज की वसूली एक वर्ष के लिए रोकने का फैसला लिया है। यह कदम किसानों को अस्थायी राहत तो देगा लेकिन लंबे समय के लिए इससे मदद नहीं मिलेगी। किसानों को हुए नुकसान को देखते हुए सरकार को आंशिक वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए थी। इससे किसानों को पर्याप्त मदद मिल सकती थी।”

भाषा प्रचेता माधव

माधव