शिवसेना (यूबीटी) ने फडणवीस से पूछा, किस मामले में आपको गिरफ्तारी का डर सता रहा था? |

शिवसेना (यूबीटी) ने फडणवीस से पूछा, किस मामले में आपको गिरफ्तारी का डर सता रहा था?

शिवसेना (यूबीटी) ने फडणवीस से पूछा, किस मामले में आपको गिरफ्तारी का डर सता रहा था?

:   Modified Date:  February 15, 2023 / 12:20 PM IST, Published Date : February 15, 2023/12:20 pm IST

मुंबई, 15 फरवरी (भाषा) उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने बुधवार को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के उस दावे को तवज्जो नहीं दी कि पिछली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ने उन्हें जेल में डालने की कोशिश की थी। साथ ही उसने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता से पूछा कि उन्हें किस मामले में गिरफ्तारी का डर सता रहा था।

शिवसेना के मुखपत्र ‘‘सामना’’ के संपादकीय में दावा किया गया है कि आईपीएस अधिकारियों ने फडणवीस का समर्थन करने के लिए एमवीए विधायकों को धमकी दी थी और उनके फोन टैप कर के उनकी जासूसी की थी।

संपादकीय में कहा गया है कि फडणवीस को बताना चाहिए कि क्या इस तरह की ‘‘अवैध’’ फोन टैपिंग अपराध है या नहीं।

मराठी अखबार ने कहा कि महाराष्ट्र की राजनीतिक संस्कृति में राजनीतिक विरोधियों की गिरफ्तारी और उनके परिवार के सदस्यों के उत्पीड़न की घटनाएं कभी नहीं देखी गईं।

वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद साझा करने के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन तोड़ दिया था।

ठाकरे ने बाद में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर राज्य में एमवीए का गठन किया था।

पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे और 39 अन्य विधायकों द्वारा शिवसेना नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह के बाद एमवीए की सरकार गिर गई थी। शिंदे 30 जून को मुख्यमंत्री बने थे और भाजपा नेता फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने थे।

फडणवीस ने हाल ही में कहा था कि पिछली एमवीए सरकार ने मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त संजय पांडे को उन्हें जेल में डालने का लक्ष्य दिया था, लेकिन पुलिस अधिकारी सफल नहीं हो सके क्योंकि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया था।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सामना के संपादकीय में बुधवार को पूछा गया, ‘‘फडणवीस को इस बात का डर क्यों है कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है?’’ किस मामले में उन्हें गिरफ्तारी का डर था और मामले से उनका क्या संबंध था… फडणवीस को स्पष्टीकरण देना चाहिए।’’

संपादकीय में दावा किया गया है, ‘‘पिछले कुछ दिनों से फडणवीस सरासर झूठ बोल रहे हैं।’’

इसमें कहा गया है कि यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के ‘संस्कार’ नहीं हैं।

मराठी दैनिक ने कहा कि एमवीए सरकार ने आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला के खिलाफ कथित फोन टैपिंग के सिलसिले में पुणे और मुंबई में मामले दर्ज किए थे।

संपादकीय में कहा गया है कि फडणवीस के मुख्यमंत्री रहने के दौरान एमवीए नेताओं के फोन अवैध रूप से टैप किए गए थे। इसमें दावा किया गया है कि एमवीए नेताओं के फोन नंबर विभिन्न नामों से टैप करने के लिए निकाले गए थे, जिन्हें मादक पदार्थों के आपूर्तिकर्ताओं और आतंकवादियों का बताया जा रहा है।

संपादकीय में कहा गया है कि फडणवीस को यह भी बताना चाहिए कि क्या इस तरह की ‘‘अवैध’’ टैपिंग अपराध है या नहीं।

मामले के जांच अधिकारियों ने फडणवीस से तब मुलाकात की जब वह विपक्ष के नेता थे और उनका बयान सम्मानपूर्वक लिया था। मराठी दैनिक ने कहा कि इसे मुद्दा बनाने की कोई जरूरत नहीं थी।

संपादकीय में कहा गया कि एमवीए नेता अनिल देशमुख, नवाब मलिक, संजय राउत को केंद्रीय जांच एजेंसियों ने अनावश्यक रूप से गिरफ्तार किया। साथ ही यह भी कहा गया कि अगर फोन टैपिंग का मामला गंभीर नहीं था तो मुंबई पुलिस के पूर्व प्रमुख संजय पांडे को इसी मामले में गिरफ्तार क्यों किया गया।

संपादकीय में दावा किया गया कि रश्मि शुक्ला के खिलाफ मामले वापस ले लिए गए और उन्हें पदोन्नत कर दिया गया।

संपादकीय में कहा गया है कि वास्तव में एकनाथ शिंदे-फडणवीस सरकार को फोन टैपिंग मामले की जांच पूरी करने की अनुमति देकर इसे तार्किक अंत तक ले जाना चाहिए था।

भाषा ब्रजेन्द्र प्रशांत

प्रशांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)