खराब पैदावार से परेशान वर्धा के संतरा उत्पादक ने अन्य फसल उगाने के लिए 150 पेड़ काटे
खराब पैदावार से परेशान वर्धा के संतरा उत्पादक ने अन्य फसल उगाने के लिए 150 पेड़ काटे
वर्धा, छह जून (भाषा) पिछले दो वर्षों से खराब उपज से परेशान महाराष्ट्र के वर्धा जिले के 30 वर्षीय एक संतरा किसान ने नकदी फसलें उगाने के लिए 150 पेड़ काट दिए हैं।
संतरा क्षेत्र का हिस्सा घाडगे गांव के किशोर बंगारे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उन्होंने यह कठोर निर्णय भारी मन से लिया और वे वर्षों से पेड़ों की देखभाल कर रहे थे।
कृषि में डिप्लोमाधारी बंगारे ने बताया, ‘मैंने नौ साल पहले अपने 3.5 एकड़ के बगीचे में 400 पौधे लगाए थे, उम्मीद थी कि इससे अच्छे नतीजे मिलेंगे। पांच साल बाद, पेड़ों में दो से तीन बार फल लगे। अनियमित बारिश और भीषण गर्मी ने मेरे सपने चकनाचूर कर दिए।’’
युवा किसान ने बताया कि पिछले दो वर्षों से वर्षा पर निर्भर उनके पेड़ों पर संतरे नहीं लगे, जिससे उन्हें उत्पादन लागत बढ़ने के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा।
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल बारिश हुई थी, लेकिन उसके तुरंत बाद ही बहुत ज़्यादा गर्मी पड़ी। नतीजतन, कोई उपज नहीं हुई। अप्रत्याशित मौसम की स्थिति के कारण, मुझे यकीन नहीं है कि इस मौसम में पेड़ फल देंगे या नहीं।’’
बंगारे ने कहा कि उन्होंने 250 संतरे के पेड़ इस उम्मीद में रखे हैं कि वे उन्हें कुछ रिटर्न देंगे क्योंकि उन्होंने अपने बगीचे में पैसे और नौ साल की कड़ी मेहनत लगायी है।
उन्होंने कहा, ‘‘अपने जीवनयापन के लिए मुझे अन्य फसल उगाने के लिए 150 पेड़ काटने पड़े।’
नागपुरी संतरा फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी के अध्यक्ष मनोज जवांजल ने कहा कि बंगारे की दुर्दशा विदर्भ का एक अलग मामला नहीं है, जिसमें वर्धा जिला भी शामिल है, जहां पर्याप्त बारिश नहीं होती।
उन्होंने कहा कि अप्रत्याशित मौसम स्वरूप निश्चित रूप से संतरे की फसल को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों से संतरे समय से पहले गिर रहे हैं, जिससे पैदावार प्रभावित हो रही है।
जवांजल ने कहा, ‘अमरावती जिले के चंदूर बाजार क्षेत्र में, कई संतरा उत्पादकों ने खराब उपज के कारण अपने बगीचों को साफ करने के लिए जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल किया। हालांकि, सह्याद्री फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी, एग्रोविजन और महा ऑरेंज जैसी संस्थाएं बेहतर खेती के तरीके और नयी किस्में उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रही हैं।’’
उन्होंने कहा कि किसानों को थोड़ा धैर्य रखना होगा। उन्होंने कहा कि बेहतर खेती के तरीकों से अच्छी उपज हासिल की जा सकती है।
भाषा अमित नरेश
नरेश

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