Maa Kalehi Mandir Panna

Maa Kalehi Mandir Panna: साढ़े तेरह सौ वर्ष पुरानी मां कलेही की अद्भुत प्रतिमा, दूर-दूर से आशीर्वाद लेने आते हैं भक्त, यहां हर मनोकामना होती है पूरी…

Maa Kalehi Mandir Panna हरी-भरी पहाड़ियों के बीच, मन को मोहित करने वाला ये धाम है मां कलेही का। मां कलेही कात्यायनी का रूप हैं।

Edited By :   Modified Date:  October 22, 2023 / 01:29 PM IST, Published Date : October 22, 2023/1:27 pm IST

Maa Kalehi Mandir Panna: पन्ना। विंध्य पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बसे पन्ना जिले की पवई का नाम जुबान पर आता है, तो जेहन में दिव्य शक्ति मां कलेही का दिव्य दर्शन सामने आता है। वैसे तो शक्ति स्वरूपा नारायणी के अनेक रूप है, दुर्गा सप्तशती में वर्णित नव-दैवियों में मां कलेही सप्तम देवी कालरात्रि ही हैं। अष्टभुजाओं में शंख, चक्र, गदा, तलवार तथा त्रिशूल उनके आठों हाथों में है। पैर के नीचे भगवान शिव हैं, उनके दायं भाग में हनुमान जी तथा बायं भाग में बटुक भैरव विराजमान हैं। मां हाथ में भाला लिये महिषासुर का वध कर रही हैं। यह विलक्षण प्रतिमा साढ़े तेरह सौ वर्ष पुरानी है, जिसकी स्थापना विक्रम संवत् सात सौ में हुई थी।

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मां कलेही ऐसी हुईं स्थापित

हरी-भरी पहाड़ियों के बीच, मन को मोहित करने वाला ये धाम है मां कलेही का। मां कलेही कात्यायनी का रूप हैं। इस दरबार में जो भी आया उसकी झोली खाली न रही। मान्यता है कि मां कलेही की प्रतिमा यहां स्वयं प्रकट हुई थी। इसके पीछे एक कथा है। नगाइच परिवार की एक महिला दुर्गम पहाड़ी रास्तों से जाकर हनुमान भाटे पर्वत में स्थित मां कलेही की पूजा किया करती थी। लेकिन महिला भक्त बूढ़ी हो जाने के कारण लगातार माता की पूजन करने में असमर्थ हो गई। मां ने महिला से कहा कि यदि वो चाहे तो माता उसके घर में स्थापित हो जाएंगी। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि वो आगे-आगे चले और माता बच्ची के रूप में उसके पीछे आए।

माता ने ये भी शर्त रखी कि यदि महिला पीछे मुड़कर देखेगी तो कन्यारूपी माता वहीं स्थापित हो जाएंगी। कन्यारूपी माता और महिला गांव की ओर चल पड़े। रास्ते में पतनें नदी पड़ी जिसकी धाराएं तेज थी। भक्त महिला को चिंता हुई कि छोटी बच्ची कहीं पानी में डूब न जाएं। और इसी डर से वो पीछे मुड़ गई। जैसे ही महिला की नजरें कन्या पर पड़ी वो उसी स्थान पर स्थापित हो गई। तब से लेकर आज तक पतनें नदी के तीर पर माता का दरबार लग रहा है और पुरातन काल से ही नगाइच परिवार की पीढ़ियां माता की आराधना कर रहीं हैं।

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पांच सौ वर्ष पुराना है ये मां का मंदिर

Maa Kalehi Mandir Panna: पांच सौ वर्ष पुराना है यहां का मेला मां कलेही पवई नगर से दो किलोमीटर की दूरी पर पतने नदी के तट पर विराजमान है, इस स्थान की छटा बड़ी मनोरम है। वैसे तो यहां वर्ष भर दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है, चैत्र नवरात्र में तो यहां विशाल मेला लगता है, जिसका प्रमाण तकरीबन पांच सौ वर्ष पुराना है। मेले में दूर-दूर से व्यापार करने के लिए व्यवसायी आते हैं। प्राचीन समय से अनाज, मसालों एवं दैनिक उपयोग की वस्तुओं का क्रय-विक्रय भी इसी मेले के माध्यम से होता रहा है। यहां सम्पूर्ण भारत के सभी अंचलों बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड, मालवा, निमाड़ आदि से मां के दर्शनों के लिए लोग आते हैं। इस तथ्य का प्रमाण सिद्व स्थल श्री हनुमान भाटा की सीढ़ियां है, जिस पर उनके नाम व पते आज भी अंकित है।

 

 

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