Navratri Vrat Parana: नवरात्रि व्रत का पारण 1 या 2 अक्टूबर… कब करें? जानें सही विधि और सावधानियां
Navratri Vrat Parana: इस बार लोगों में संशय है कि नवरात्रि का पारण 1 अक्टूबर को करना उचित होगा या फिर 2 अक्टूबर 2025 को, क्योंकि कुछ लोग नवमी के दिन हवन के बाद पारण कर लेते हैं, जबकि कुछ लोग दशमी को कलश-प्रतिमा विसर्जन के दिन पारण करते हैं।
Shardiya Navratri 2025 Vrat Parana Kab
Shardiya Navratri 2025 Vrat Parana Kab: शारदीय नवरात्रि 2025 का शुभारंभ 22 सितंबर से शुरू है और इसका समापन 2 अक्टूबर को दशहरा के दिन होगा। नवरात्रि के अंतिम दिन यानी महानवमी और दशमी के बाद व्रत रखने वाले श्रद्धालु पारण करते हैं। इस बार लोगों में संशय है कि नवरात्रि का पारण 1 अक्टूबर को करना उचित होगा या फिर 2 अक्टूबर 2025 को, क्योंकि कुछ लोग नवमी के दिन हवन के बाद पारण कर लेते हैं, जबकि कुछ लोग दशमी को कलश-प्रतिमा विसर्जन के दिन पारण करते हैं।
नवरात्रि पारण की सही तिथि
पंचांग के अनुसार, साल 2025 में महानवमी 1 अक्टूबर को पड़ रही है। इसके बाद 2 अक्टूबर को दशहरा (विजयादशमी) मनाया जाएगा। सामान्य तौर पर नवरात्रि व्रत का पारण महानवमी या विजयादशमी के दिन ही किया जाता है। ऐसे में व्रत रखने वाले लोग एक अक्टूबर को व्रत का पारण कर सकते हैं। कुछ परंपराओं में पारण अगले दिन यानी 2 अक्टूबर को भी किया जाता है, लेकिन प्रमुख रूप से इसका विधान दशमी तिथि पर ही है। नौ दिनों तक व्रत रखने वाले लोगों को दो अक्टूबर यानि दशहरा के दिन पारण करना चाहिए। वहीं सिर्फ महाअष्टमी का व्रत रखने वालों को को नवमी तिथि को पारण करना चाहिए।
नवरात्रि पारण की विधि
इस दिन पहले सुबह स्नान करके माता दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं। माता को लाल या पीले फूल, फल और भोग अर्पित करें। इसके बाद कुंवारी कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें उपहार दें। ऐसा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। हवन, दुर्गा सप्तशती पाठ या देवी के मंत्रों का जाप करने के बाद व्रत का समापन करें। अंत में परिवार सहित देवी से सुख-समृद्धि और रक्षा की प्रार्थना करें।
नवरात्रि पारण में बरतें ये सावधानियां
वहीं आपको बता दें कि पारण करते समय सात्विक आहार का ही उपयोग करें, मांसाहार और नशे से दूर रहें। कन्या पूजन में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें और उन्हें जितना संभव हो प्रसन्न करें। व्रत खोलते समय जल्दबाजी न करें, सभी विधियों को श्रद्धा से पूरा करें। पूजा-पाठ में परिवार के सभी सदस्य शामिल हों, इससे सामूहिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. आईबीसी24 NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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