धर्म। नवरात्र पर्व के दूसरे दिन आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है।
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आज के दिन मां ब्रह्माचारिणी को सफेद रंग का प्रसाद चढ़ाया जाता है। मां को प्रसन्न करने और मन्नत मांगने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा पंडालों में जुटने लगी है।
यह है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब माता पार्वती ने भगवान शिव से विवाह की इच्छा प्रकट की तो उनके माता-पिता इस विवाह को लेकर उन्हें हतोत्साहित करने लगे। तब माता ने कामदेव से मदद मांगी। उन्होंने ध्यानमग्न भोलेनाथ पर कामवासना का तीर छोड़ा और शिवजी का ध्यान भंग हो गया।
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इससे क्रोधित होकर भोलेनाथ ने अपना तीसरा नेत्र खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया। माता पार्वती इसके बाद एक पहाड़ पर गईं और कई वर्षों तक ब्रह्मचर्य का पालन कर घोर तप किया। इस वजह से वे ब्रह्मचारिणी भी कहलाईं।
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