मध्यप्रदेश के राजकीय लोकनृत्य से जुड़ी कुछ रोचक बातें, जानें यहां….
- राई नृत्य बुंदेलखंड के प्रसिद्ध नृत्यों में से एक है। यह नृत्य गुजरात के प्रसिद्ध गरबा नृत्य के समान ही प्रसिद्ध है। राई नृत्य बारहों महीने नाचा जाता है। बुंदेलखंडी जनमानस का हर्ष और उल्लास इस लोक नृत्य में अभिव्यक्त होता है।
- राई नृत्य में बेड़नियाँ नाचती हैं और बेड़नी के अभाव में स्त्री.वेशधारी पुरुष नाचते हैं। इस नृत्य के साथ फागें गाई जाती हैं। राई के गीत ख्याल, स्वाँग आदि और भी कई प्रकार के होते हैं।
- मृदंग की थाप पर घुंघरुओं की झंकारती राई और उसके साथ नृत्यरत स्वांग न केवल अपढ़ और ग्रामीणों का मनोरंजन करते हैं, बल्कि शिक्षित और सवर्ण भी इसे देखकर आह्लादित हो जाते हैं।
- राई नृत्य में राई जलती हुई मशाल को लेकर बेड़नी के मुख के पास किये रहता है, जिससे दर्शकों को उसका चेहराए स्पष्ट भावभंगिमाओं के साथ दिखाई देता है।
- नाचने वाली बेड़नी के साथ मृदंग बजाने वाला नाचता है और नाचते हुये बेड़नी के समीप जाकर नृत्य करता है।
- इस कला के पुजारी बुंदेलखंड में बहुत हैं। राई नृत्य के साथ यहाँ विशेषतः सुप्रसिद्ध लोक कवि ईसुरी की फागें गाई जाती हैं। ईसुरी की फागों को प्रसिद्धि रंगरेजन नर्तकी और गायक धीरे पण्डा ने दिलाई थी।
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