153 years old India's only temple of Ravana opens on Vijayadashami

विजयादशमी के दिन खुलता है 153 साल पुराना भारत का इकलौता रावण का मंदिर, आज के दिन होती है पूजा.. जन्मदिन भी मनता है साथ

153 years old India's only temple of Ravana opens on Vijayadashami

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 01:29 PM IST, Published Date : October 15, 2021/1:01 pm IST

कानपुर, यूपी। देशभर में विजयदशमी के दिन रावण दहन की तैयारी चल रही है। रावण के प्रतीक रूप को वध कर चाहे उसका दहन किया जाता हो लेकिन उत्तर प्रदेश में कानपुर एक ऐसी जगह है, जहां दशहरा के दिन रावण की पूजा की जाती है।

पढ़ें- दशहरा मेला में हाथी का तांडव, कई वाहनों को पलटा, पंडाल क्षतिग्रस्त, मच गई अफरा-तफरी

रावण के इस मंदिर के बारे में यह भी मान्यता है कि यहां मन्नत मांगने से लोगों के मन की मुरादें भी पूरी होती हैं और लोग इसीलिए यहां दशहरे पर रावण की विशेष पूजा करते हैं। यहां दशहरे के दिन ही रावण का जन्मदिन भी मनाया जाता है. बहुत कम लोग जानते होंगे कि रावण को जिस दिन राम के हाथों मोक्ष मिला, उसी दिन रावण पैदा भी हुआ था।

पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में लोगों को चुन-चुनकर निशाना बना रहे हैं आतंकवादी- RSS प्रमुख मोहन भागवत

यही नहीं यहां पूजा करने के लिए रावण का मंदिर भी मौजूद है। खास बात ये है कि ये मंदिर वर्ष में सिर्फ दशहरा के मौके पर खोला जाता है। रावण का ये मंदिर उद्योग नगरी कानपुर में मौजूद है। विजयदशमी के दिन इस मंदिर में पूरे विधि-विधान से रावण का दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रृंगार किया जाता है। उसके बाद पूजन के साथ रावण की स्तुति कर आरती की जाती है।

पढ़ें- पूर्व कांग्रेस विधायक का निधन, लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे कांती कोली

मान्यता है कि ब्रह्म बाण नाभि में लगने के बाद और रावण के धराशाही होने के बीच कालचक्र ने जो रचना की, उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया। यह वह समय था, जब राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पैरों की तरफ खड़े होकर सम्मान पूर्वक नीति ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करो क्योंकि धरातल पर न कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा हुआ है और न कभी होगा।

पढ़ें- देश में 216 दिनों में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या सबसे कम, 16,862 नए केस

रावण का यही स्वरूप पूजनीय है और इसी स्वरूप को ध्यान में रखकर कानपुर में रावण के पूजन का विधान है। वर्ष 1868 में कानपुर में बने इस मंदिर में तभी से आज तक निरंतर रावण की पूजा होती है। लोग हर वर्ष इस मंदिर के खुलने का इंतजार करते हैं और मंदिर खुलने पर यहां पूजा-अर्चना बड़े धूमधाम से करते हैं. पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना के साथ रावण की आरती भी की जाती है।