आखिर 'कूड़ा' के रुप में क्यों पूजे जाते हैं शिव शंकर, चमत्कारिक घटना के बाद प्रसिद्ध हुआ कुंडेश्वर धाम | After all, why is Shiv Shankar worshiped as 'garbage' Dev site became famous after a miraculous event

आखिर ‘कूड़ा’ के रुप में क्यों पूजे जाते हैं शिव शंकर, चमत्कारिक घटना के बाद प्रसिद्ध हुआ कुंडेश्वर धाम

आखिर 'कूड़ा' के रुप में क्यों पूजे जाते हैं शिव शंकर, चमत्कारिक घटना के बाद प्रसिद्ध हुआ कुंडेश्वर धाम

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:51 PM IST, Published Date : July 12, 2020/10:09 am IST

टीकमगढ़। आम दिनों में ब्रम्ह मुहूर्त में शिवालयों के पट खुल जाते हैं। ताम्रपत्र से शिवलिंग का अभिषेक, चंदन-अक्षत-केशर से लेपन और फिर उस पर बिल्व पत्र चढ़ाने के साथ शिव की पूजा संपन्न होती है। कुंडेश्वर धाम में शिव का प्रतापी मंदिर स्थित है।जिसके दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है। यहां भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। शिव के दरबार में भक्त पूरी श्रद्धा से माथा टेकते हैं और शिव का आशीर्वाद हासिल करते हैं।

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इस क्षेत्र के बारे में एक किवदंती प्रचलित है कि जिस ऊंची पहाड़ी पर शिवलिंग स्थित है…वहां एक छोटी बस्ती थी….एक महिला ओखली में धान कूट रही थी, अचानक धान कूटते-कूटते उसकी ओखली खून से भर गई, जिसे देखकर वो घबरा गई और उस पर कूड़ा करकट डालकर पड़ोस की औरतों को सूचना देने चली गई, पड़ोस की औरतों ने आकर कूड़ा करकट हटाया तो उन्हें ओखली में शिवलिंग के दर्शन हुए। इस पर सभी ने कहा कि कूड़े के नीचे शंकर जी प्रकट हुए हैं। इस चमत्कारिक घटना के बाद शिव का नाम कूड़ा देव रखा गया।

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कुछ लोगों की मान्यता है कि शंकरजी पास के कुंड से अवतरित हुए हैं, इसलिए इनका नाम भगवान कुंडेश्वर है। इस क्षेत्र के बारे में एक और किवदंती प्रचलित है, कहा जाता है कि वीरगांव के पास जामनेर नदी में एक गहरा कुंड है। द्वापर में वाणासुर राजा की पुत्री उषा आधी रात को वानपुर से निकलकर सुरंग के रास्ते इस कुंड में स्नान करने आती थी, वो कुंड में स्नान करने के बाद शिवजी की पूजा अर्चना करती थी। इसलिए इसे उषाकुंड भी कहा जाता है, उषा ने भगवान से वरदान मांगा कि जैसे आपने मुझे दर्शन दिए, ऐसे ही सारे संसार को दर्शन दें। इसलिए यह उषा पूजित कुंडेश्वर भगवान हैं। आज भी जामनेर नदी के उस पार वानपुर नगर और टीकमगढ़ वानपुर मार्ग पर बाणाघाट है, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है।