महाशिवरात्रिः भोले बाबा को इस बार दूर से ही कर पाएंगे जल अर्पित, देखें हटकेश्वर मंदिर की क्या है मान्यता

महाशिवरात्रिः भोले बाबा को इस बार दूर से ही कर पाएंगे जल अर्पित, देखें हटकेश्वर मंदिर की क्या है मान्यता

महाशिवरात्रिः भोले बाबा को इस बार दूर से ही कर पाएंगे जल अर्पित, देखें हटकेश्वर मंदिर की क्या है मान्यता
Modified Date: November 29, 2022 / 08:22 pm IST
Published Date: March 10, 2021 3:23 am IST

रायपुर। 11 मार्च को महाशिवरात्रि का महापर्व मनाया जाएगा। पर्व को लेकर राजधानी की सभी शिव मंदिरों में तैयारी शुरू हो चुकी है। हर साल की तरह इस साल भी धूमधाम से महादेव और माता पार्वती का विवाह किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर कोरोना के प्रभाव के कारण श्रद्धालुओं को कई नियमों का पालन करना होगा है। इस पावन मौके पर हम आपको राजधानी की ऐतिहासिक महादेव घाट स्थित हटकेश्वर मंदिर की मान्यता आपको बताते है, जो लाखों लोगों के आस्था का केंद्र है।

Read More News: मां खल्लारी के दर्शन के लिए अब नहीं चढ़नी पड़ेगी 981 सीढ़ी, विधायक आज करेंगे .

हाजीराज नाइक ने कराया था मंदिर का निर्माण

 ⁠

शहर की जीवनदायिनी मानी जाने वाली खारुन नदी तट पर ऐतिहासिक हटकेश्वर मंदिर भक्तों के आकर्षण का केंद्र है। 1402 ईस्वी में कल्चुरि राजा रामचंद्र के पुत्र ब्रह्मदेव राय के शासन काल में हाजीराज नाइक ने मंदिर का निर्माण कराया था। जिस तरह उज्जैन के महाकाल के दर्शन का महत्व है, उसी तरह छत्तीसगढ़ में हटकेश्वरनाथ के दर्शन का महात्म्य है। मंदिर में 500 साल से लगातार अखंड धूनी प्रज्वलित हो रही है। महादेव के भक्त, साधु यहां अग्नि के ताप से रुद्राक्ष की माला को सिद्घ करके अपने कष्टों का निवारण करते हैं। साथ ही धूनी की भभूत को प्रतिदिन माथे पर लगाने के लिए घर ले जाते हैं। बता दें कि हटकेश्वर महादेव नागर ब्राह्मणों के संरक्षक देवता माने जाते हैं। हटकेश्वर नाथ के सामने ही जूना अखाड़ा है जहां बाहर से आने वाले साधक विश्राम करते हैं।

Read More News:  मंदिर जहां माता को चिट्ठी लिखकर लगाई जाती है अर्जी, चढ़ता है मिर्ची…

इस बार पाइप के माध्यम से कर सकेंगे जल अर्पित

महाशिवरात्रि के मौके पर महादेव घाट स्थित हटकेश्वर मंदिर हजारों श्रद्धालुओं के लिए आते हैं। इस बार भी कोरोना के दौर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ रहेगी। इसे देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने तैयारी की है। जानकारी के अनुसार शिवरात्रि के दिन सुबह 4 बजे मंदिर के पुजारी भस्म आरती व विधिवत पूजा करेंगे। करीब एक घंटे में पूजा संपन्न होगी। इसके बाद 5 बजे से भक्त दर्शन कर सकेंगे। वहीं कोरोना के प्रभाव के कारण भक्तों को मंदिर में पिछले द्वार से प्रवेश दिया जाएगा। वे सेनेटाइज और तापमान जांच के बाद ही दर्शन कर सकेंगे। वहीं दूर से ही पाइप के माध्यम से भक्त फूल व पानी अर्पित कर सकेंगे। शाम 5 बजे मंदिर में गाजे-बाजे के साथ रायपुरा शिव मंदिर तक शिव पार्वती की बारात निकाली जाएगी। जहां विधिवत शिव-पार्वती का विवाह किया जाएगा।

Read More News:  कुंभ में हर स्नान के बाद अधिकारी, कर्मचारियों को करानी होगी कोविड ज..


लेखक के बारे में