Chaitra Navratri 2022 :

Chaitra Navratri 2022 : देवी महागौरी की पूजा से दूर होंगे राहु दोष, अलौकिक सिद्धियों की होगी प्राप्ति, जानें मंत्र

Chaitra Navratri 2022 : उनके सारे पापों का नाश कर उन्हें पवित्र और अक्षय पुण्य का अधिकारी बनाती हैं।, festiwal

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:57 PM IST, Published Date : April 9, 2022/9:19 am IST

धर्म :  Chaitra Navratri 2022 : शक्ति की भक्ति के महापर्व नवरात्र का आज आठवां दिन है.. हम आपको हर दिन देवी के एक रूप की महत्ता, उनकी आराधना,भक्ति और शक्ति से परिचित कराते हैं। मां दुर्गा के आठवें रूप का नाम है महागौरी। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को महागौरी की पूजा और उपासना की जाती है। अपने भक्तों को माता महागौरी अमोघ शक्ति प्रदान करती हैं और उनके सारे पापों का नाश कर उन्हें पवित्र और अक्षय पुण्य का अधिकारी बनाती हैं।

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Chaitra Navratri 2022 :  माता महागौरी का वर्ण पूर्णत: गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से की गई है। माता के समस्त वस्त्र और आभूषण भी श्वेत हैं। महागौरी की चार भुजाएं हैं। और इनका वाहन वृषभ है। माता के ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है।

साथ ही ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा है। देवी के श्रीविग्रह में परमशांति का भाव दिखता है। अपने पार्वती रूप में भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता ने बड़ी कठोर तपस्या की थी।

इस तप के कारण माता का शरीर एकदम काला पड़ गया, लेकिन देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर जब भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगाजी के जल से धोया, तब माता का शरीर विद्युत प्रभा के समान अत्यंत कांतिमान और गौर हो उठा। तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा। मां महागौरी का ध्यान स्मरण पूजन और आराधना भक्तों के लिए सभी प्रकार से कल्याणकारी है। इनकी कृपा से भक्तों को लौकिक जीवन में ही अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

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Chaitra Navratri 2022 :   अष्टमी के दिन भी देवी की पंचोपचार सहित पूजा करें. देवी का ध्यान करने के लिए दोनों हाथ जोड़कर इस मंत्र का उच्चारण करें “सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥”.
महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं. देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं “सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते..”
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।