Devshayani Ekadashi Vrat Katha| Image Credit: pexels
Devshayani Ekadashi Vrat Katha: हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस साल देवशयनी एकादशी 6 जुलाई 2025 को मनाई जा रही है। देवशयनी एकादशी चातुर्मास की शुरुआत का भी प्रतीक है। माना जाता है कि, भगवान विष्णु चार महीनों के लिए क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं जिसके चलते इस समयावधि को चातुर्मास कहते हैं। चातुर्मास में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य जैसे विवाह या मुंडन आदि नहीं किए जाते हैं। इस दिन एकादशी की व्रत कथा का पाठ करना भी बहुत पुण्यदायी माना गया है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं देवशयनी एकादशी की व्रत कथा..
पौराणिक कथा के मुताबिक, सतयुग में एक मांधाता नामक चक्रवर्ती और न्यायप्रिय राज थे। वे अपनी प्रजा को अपनी संतान मानकर उनकी सेवा करते थे। एक बार राजा के राज्य में भंयकर अकाल पड़ा गया। लगातार तीन सालों तक बारिश न होने के कारण चारों तरफ सूखा पड़ गया। न तो लोगों के पास खाने के अनाज बचा न पशु-पक्षियों के लिए चारा बचा था। ऐसे में यज्ञ, हवन, पिंडदान, कथा-व्रत आदि की भी कमी हो गई थी। यह देख पूरी प्रजा अपनी समस्या लेकर राजा के पास पहुंची और उनकी समस्या सुन राजा भी दुखी हो गए। इस समस्या का समाधान पाने के लिए एक दिन राजा जंगल की ओर निकल पडे। जंगल में चलते हुए राजा मांधाता, ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंचे।
अंगिरा ऋषि ने राजा के आने कारण पूछा तो उन्होंने पूरी बात बताई और इस समस्या का समाधान मांगा। अंगिरा ऋषि ने कहा कि, तुम्हारे राज्य में एक शुद्र तपस्या कर रहा है, लेकिन उसे इसका अधिकार नहीं है। इसी कारण तुम्हारे राज्य में अकाल पड़ रहा है। ऐसे में उसे मारने से ही इस समस्या का समाधान हो पाएगा। यह सुन संकोच में पड़ गए, क्योंकि राजा मांधाता एक निरपराधी शूद्र को मारने को तैयार नहीं थे। फिर अंगिरा ऋषि ने कहा कि अगर तुम आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी का व्रत करते हो तो भी तुम्हारी समस्याएं दूर हो सकती हैं।
ऋषि की बात सुनकर राजा अपने राज्य में लौट और फिर उन्होंने पूरी प्रजा के साथ ये व्रत किया। ऐसा माना जाता है कि इसी व्रत के फलस्वरूप उनके राज्य में मूसलाधार बारिश हुई और दोबारा पूरा राज्य धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, जो भी व्यक्ति देवशयनी एकादशी की इस कथा को सुनता है या पाठ करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।