Diwali 2021: Worship Mother Lakshmi like this on Diwali, know the method

Diwali 2021 : दिवाली पर इस बार बन रहा है ये खास संयोग, ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा, जानिए विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त

Diwali 2021: Worship Mother Lakshmi like this on Diwali, know the method

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 06:00 AM IST, Published Date : November 4, 2021/6:49 am IST

रायपुरः Worship Mother Lakshmi like this on Diwali कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 4 नंवबर 2021 दिन गुरुवार को दिवाली मनाई जाएगी है। इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा की जाती  ,इस दिन एक साथ चार ग्रहों की युति बन रही है। दिवाली पर तुला राशि में सूर्य, बुध, मंगल और चंद्रमा मौजूद रहेंगे।

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Worship Mother Lakshmi like this on Diwali इस दिन एक साथ चार ग्रहों की युति बन रही है। तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं। लक्ष्मी जी की पूजा से शुक्र ग्रह की शुभता में वृद्धि होती है। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को लग्जरी लाइफ, सुख-सुविधाओं आदि का कारक माना गया है। दिवाली पर तुला राशि में सूर्य, बुध, मंगल और चंद्रमा मौजूद रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र सूर्य को ग्रहों का राजा, मंगल को ग्रहों का सेनापति और बुध को ग्रहों का राजकुमार कहा गया है। इसके साथ ही चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। वहीं सूर्य पिता तो चंद्रमा को माता कारक माना गया है।

 

इन राशियों पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा-

दिवाली पर वृषभ, कर्क, तुला और धनु राशि पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरस सकती है। इस दिन लक्ष्मी जी का विधि-विधान के साथ पूजन करना चाहिए। दान-पुण्य भी करना चाहिए। मिथुन, कन्या, मकर और कुंभ राशि वालों को दिवाली के दिन लक्ष्मी जी की प्रतिमा के सामने मंत्र का जाप करना चाहिए। मेष, सिंह, वृश्चिक और मीन राशि वालों को भगवान गणेश व शिव परिवार की पूजा करना उत्तम रहेगा।

 

दिवाली का पर्व सुख-समृद्धि और वैभव का प्रतीक है। मान्यता है कि दिवाली पर लक्ष्मी जी का पूजन करने और उनकी पूजा-अर्चना करने से जीवन में यश-वैभव बना रहता है और जीवन में धन की कमी दूर हो जाती है। मान्यता है कि अगर दिवाली का पूजन शुभ मुहूर्त में किया जाए, तो वे अधिक लाभदायी होता है।

शुभ मुहूर्त का समय :

अभिजीत मुहूर्त 11:19 AM से 12:04 PM

अमृत काल मुहूर्त 09:16 PM से 10:42 PM

विजय मुहूर्त 01:33 PM से 02:17 PM

गोधूलि मुहूर्त 05:04 PM से 05:28 PM

संध्या मुहूर्त 05:15 PM से 06:32 PM

निशिता मुहूर्त 11:16 PM से 12:07 AM, Nov 05

ब्रह्म मुहूर्त 04:25 AM, Nov 05 से 05:17 AM, Nov 05

प्रातः 04:51 AM, Nov 05 से 06:08 AM, Nov 05

प्रदोष काल: 17:34:09 से 20:10:27 तक

वृषभ काल: 18:10:29 से 20:06:20 तक

दिवाली पर निशिता काल मुहूर्त

निशिता काल: 23:39 से 00:31, नवम्बर 05

सिंह लग्न: 00:39 से 02:56, नवम्बर 05

अशुभ मुहूर्त का समय : (इस काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है)

राहुकाल: 13:26:56 से 14:49:20 तक

दुष्टमुहूर्त: 10:14:38 से 10:58:35 तक, 14:38:21 से 15:22:18 तक

कुलिक: 10:14:38 से 10:58:35 तक

कालवेला / अर्द्धयाम: 16:06:15 से 16:50:12 तक

यमघण्ट: 07:18:50 से 08:02:47 तक

कंटक: 14:38:21 से 15:22:18 तक

यमगण्ड: 06:34:53 से 07:57:17 तक

गुलिक काल: 09:19:42 से 10:42:06 तक

दिशा शूल : इस दिन दक्षिण इस दिशा में यात्रा शुभ नहीं

दिवाली पर सिर्फ शुभ मुहूर्त के हिसाब से पूजन करना ही काफी नहीं होता, बल्कि पूजन की विधि भी ठीक होनी चाहिए। मान्यता है कि विधि पूर्वक की गई पूजा का ही लाभ मिलता है,इस दिन सवेरे उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें और पूरे मन के साथ पूजा अर्चना करनी चाहिये

दिवाली पर सिर्फ शुभ मुहूर्त के हिसाब से पूजन करना ही काफी नहीं होता, बल्कि पूजन की विधि भी ठीक होनी चाहिए

लक्ष्मी पूजन की सामग्री :

लक्ष्मी की पूजा दिवाली के दिन काफी अहम मानी जाती है। अगर आप विधिपूर्वक और जरूरी पूजन सामग्रियों का उपयोग नहीं करते हैं तो पूजा का फल नहीं मिलेगा। इसलिए पूजा के लिए इन सामग्रियों को पहले जुटा लें- कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली।

 

कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन,गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, जनेऊ, श्वेस वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन,धान्य (चावल, गेहूँ),लेखनी (कलम),बही-खाता, स्याही की दवात,तुला (तराजू), पुष्प (गुलाब एवं लाल कमल),एक नई थैली में हल्दी की गाँठ मान्यता है कि विधि पूर्वक की गई पूजा का ही लाभ मिलता है। इस दिन सवेरे उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें और पूरे मन के साथ पूजा अर्चना करनी चाहिये। कुछ मान्यताओं के अनुसार इस दिन देवी लक्ष्मी का आगमन हुआ था। साथ ही भगवान राम की अयोध्या वापसी हुई थी। इसलिए राम दरबार की पूजा भी दिवाली पूजन के दौरान की जाती है।

 

जानिए दीपों के त्योहार दीपावली पर कैसे करें पूजन

– एक चौकी लें उस पर साफ कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी की प्रतिमा रखें। मूर्तियों का मुख पूर्व या पश्चिम की तरफ होना चाहिए।

– अब हाथ में थोड़ा गंगाजल लेकर उनकी प्रतिमा पर इस मंत्र का जाप करते हुए छिड़कें।

ऊँ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।

जल अपने आसन और अपने आप पर भी छिड़कें।

– इसके बाद मां पृथ्वी को प्रणाम करें और आसन पर बैठकर हाथ में गंगाजल लेकर पूजा करने का संकल्प लें।

– इसके बाद एक जल से भरा कलश लें जिसे लक्ष्मी जी के पास चावलों के ऊपर रखें। कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का पल्लव रखें। साथ ही उसमें सुपारी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का रखें।

– अब इस कलश पर एक नारियल रखें। नारियल लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि उसका अग्रभाग दिखाई देता रहे। यह कलश वरुण का प्रतीक है।

– अब नियमानुसार सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। फिर लक्ष्मी जी की अराधना करें। इसी के साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, मां काली और कुबेर की भी विधि विधान पूजा करें।

– पूजा करते समय 11 या 21 छोटे सरसों के तेल के दीपक और एक बड़ा दीपक जलाना चाहिए। एक दीपक चौकी के दाईं ओर एक बाईं ओर रखना चाहिए।

– भगवान के बाईं तरफ घी का दीपक जलाएं। और उन्हें फूल, अक्षत, जल और मिठाई अर्पित करें।

– अंत में गणेश जी और माता लक्ष्मी की आरती उतार कर भोग लगाकर पूजा संपन्न करें।

– जलाए गए 11 या 21 दीपकों को घर के सभी दरवाजों के कोनों में रख दें।

– इस दिन पूजा घर में पूरी रात एक घी का दीपक भी जलाया जाता है।

 
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