Ganesh Chaturthi 2024: दूर्वा के बिना क्यों अधूरी मानी जाती है गणेश जी की पूजा, जानें क्या है इसकी वजह और इसे चढ़ाने के नियम

Ganesh Chaturthi 2024: दूर्वा के बिना क्यों अधूरी मानी जाती है गणेश जी की पूजा, जानें क्या है इसकी वजह और इसे चढ़ाने के नियम

Ganesh Chaturthi 2024: दूर्वा के बिना क्यों अधूरी मानी जाती है गणेश जी की पूजा, जानें क्या है इसकी वजह और इसे चढ़ाने के नियम

Sankashti Chaturthi 2025। Image Credit: IBC24 File Image

Modified Date: September 7, 2024 / 07:15 pm IST
Published Date: September 7, 2024 7:15 pm IST

Ganesh Chaturthi 2024:  हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक ‘गणेश चतुर्थी’ का पावन पर्व शनिवार, 7 सितंबर 2024 यानी आज से शुरू हो गया है। 10 दिन तक चलने वाले इस उत्सव के दौरान गणपति बप्पा की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती हैं। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और ऋद्धि-सिद्धि का स्वामी भी कहा जाता है। इनका स्मरण, ध्यान, जप और आराधना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता है कि गणेश जी की पूजा में दूर्वा चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है। इसके बिना भगवान गणेश की पूजा अधूरी माना जाती है। भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने से घर में सुख-शांति व समृद्धि के साथ गजानन की कृपा हमेशा बनी रहती है। लेकिन ये बहुत कम लोग ही जानते हैं कि, गणेश जी को दूर्वा क्यों चढ़ाया जाता है और क्या है इसकी मान्यता है।

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था। इस दैत्य के प्रकोप से स्वर्ग और धरती पर त्राहि-त्राहि मची हुई थी। अनलासुर ऋषि-मुनियों और आम लोगों को जिंदा निगल जाता था। दैत्य से त्रस्त होकर देवराज इंद्र सहित सभी देवी-देवता और ऋषि-मुनि महादेव के पास प्रार्थना करने पहुंचे। सभी ने शिवजी से प्रार्थना की कि वे अनलासुर के आतंक का नाश करें।

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Ganesh Chaturthi 2024:  तब भगवान शिव ने कहा कि, अनलासुर का अंत केवल श्रीगणेश ही कर सकते हैं। तब गणेश जी ने अनलासुर को निगल लिया जिससे उनके पेट में बहुत जलन होने लगी। कई प्रकार के उपाय करने के बाद भी गणेशजी के पेट की जलन शांत नहीं हो रही थी। इसके समाधान के लिए कश्यप ऋषि ने दूर्वा की 21 गांठ बनाकर श्रीगणेश को खाने को दी। जब गणेशजी ने दूर्वा ग्रहण की तो उनके पेट की जलन शांत हो गई। तभी से श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा प्रारंभ हुई।

 

 दूर्वा चढ़ाने के नियम

गणपति जी को दूर्वा हमेशा चरणों में चढ़ानी चाहिए। दूर्वा चढ़ाने से पहले उसे साफ पानी से जरूर धोएं।

पूजा में हमेशा दूर्वा को जोड़ा बनाकर भगवान को चढ़ाएं। दूर्वा चढ़ाते समय गणेशजी के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

भगवान गणेश को दूर्वा घास के 11 जोड़ों को चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है।

भगवान श्रीगणेश को अर्पित की जाने वाली दूर्वा में 3 या 5 गांठ होनी चाहिए।

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