Garud Puran : गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्म हत्या करने वाली आत्मा के साथ क्या होता है? कौन कौन सी सज़ा दी जाती है? पढ़कर रूह कांप जाएगी

According to Garuda Purana, what happens to the soul of a person who commits suicide? What punishments are given? Your soul will tremble after reading it

Garud Puran : गरुड़ पुराण के अनुसार, आत्म हत्या करने वाली आत्मा के साथ क्या होता है? कौन कौन सी सज़ा दी जाती है? पढ़कर रूह कांप जाएगी

Garud Puran

Modified Date: March 21, 2025 / 04:37 pm IST
Published Date: March 21, 2025 4:37 pm IST

Garud Puran : गरुड़ पुराण, अठारह महापुराणों में से एक है, जो वैष्णव धर्म से संबंधित है और मृत्यु के बाद आत्मा की गति और कर्मों के आधार पर फल के बारे में बताता है यह वैष्णव सम्प्रदाय से सम्बन्धित एक महापुराण है। यह सनातन धर्म में मृत्यु के बाद सद्गति प्रदान करने वाला माना जाता है। इसलिये सनातन हिन्दू धर्म में मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है। इस पुराण के अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु हैं।

गरुणपुराण की रचना अग्निपुराण के बाद हुई। इस पुराण की सामग्री वैसी नहीं है जैसा पुराण के लिए भारतीय साहित्य में वर्णित है। इस पुराण में वर्णित जानकारी गरुड़ ने विष्णु भगवान से सुनी और फिर कश्यप ऋषि को सुनाई।

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पहले भाग में विष्णु भक्ति और उपासना की विधियों का उल्लेख है तथा मृत्यु के उपरान्त प्रायः ‘गरूड़ पुराण’ के श्रवण का प्रावधान है। दूसरे भाग में प्रेत कल्प का विस्तार से वर्णन करते हुए विभिन्न नरकों में जीव के पड़ने का वृत्तान्त है। इसमें मरने के बाद मनुष्य की क्या गति होती है, उसका किस प्रकार की योनियों में जन्म होता है, प्रेत योनि से मुक्त कैसे पाई जा सकती है, श्राद्ध और पितृ कर्म किस तरह करने चाहिए तथा नरकों के दारूण दुख से कैसे मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है, आदि का विस्तारपूर्वक वर्णन प्राप्त होता है।

गरुड़ पुराण के अनुसार आत्महत्या करने वाले मनुष्य के लिए दुखों का अंत नहीं होता बल्कि उसकी समस्याएं और बढ़ जाती हैं। जो मनुष्य धरती पर आत्महत्या कर लेता है, उसे परलोक में भी जगह नहीं मिलती और उसकी आत्मा भटकती रह जाती है। गरुड़ पुराण में जीवन के बाद के लोक के बारे में लिखा गया है। धरती पर जीवन जीने के बाद मनुष्य के कर्मों के आधार पर उसके साथ कैसा न्याय किया जाता है, इन सभी बातों का विवरण गरुड़ पुराण में लिखा गया है। इसके अलावा गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु की भक्तिसे जुड़ीं बातें भी हैं। इसमें ज्ञान, वैराग्य और अच्छे आचरण की महिमा बताई गई है। साथ ही निष्काम कर्म, यज्ञ, दान, तप और तीर्थ यात्रा जैसे शुभ कर्मों का महत्व भी समझाया गया है। गरुड़ पुराण में आत्महत्या या अपना जीवन स्वंय समाप्त करने के विषय में भी लिखा गया है। आत्महत्या को अकाल मृत्यु की श्रेणी में रखा जाता है। आइए, जानते हैं आत्महत्या के बारे में गरुड़ पुराण में क्या लिखा है।

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अकाल मृत्यु होने से 7 चक्र रह जाते हैं अधूरे

गरुड़ पुराण के अनुसार, जो लोग अपने जीवन के सभी 7 चक्रों को पूरा करते हैं, उन्हें मरने के बाद मोक्ष मिलता है लेकिन अगर कोई एक भी चक्र अधूरा छोड़ देता है, तो उसे अकाल मृत्यु का सामना करना पड़ता है। ऐसी आत्मा को बहुत कष्ट झेलने पड़ते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, भूख से तड़पकर मरना, हिंसा में मरना, फांसी लगाकर जान देना, आग से जलकर मरना, सांप के काटने से मरना, जहर पीकर या फांसी लगाकर आत्महत्या करना, ये सभी अकाल मृत्यु की श्रेणी में आते हैं। इसका मतलब है कि ये मौतें समय से पहले होती हैं।

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आत्महत्या को पाप की श्रेणी में रखा गया है
पृथ्वी पर इंसान का जीवन बहुत मुश्किल से मिलता है। यह जीवन तपस्या का फल होता है। अगर कोई आत्महत्या करता है, तो उसे नर्क भोगना पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि हर किसी को इंसान के रूप में जन्म लेने का अवसर नहीं मिलता। जब एक इंसान मर जाता है और आत्मा बन जाता है, तो उसे 13 अलग-अलग जगहों में भेजा जाता है। अगर कोई आत्महत्या करता है, तो उसे 7 नरक में से किसी एक में भेजा जाता है। वहां उसे लगभग 60,000 साल बिताने पड़ते हैं।

आत्महत्या करने वाले मनुष्य की आत्मा भटकती रहती है
आत्माएं आमतौर पर 3 से 40 दिनों में दूसरा शरीर ले लेती हैं लेकिन, जो लोग आत्महत्या करते हैं, उनकी आत्माएं लंबे समय तक भटकती रहती हैं। गरुड़ पुराण में आत्महत्या को भगवान का अपमान बताया गया है इसलिए, आत्महत्या करने वालों को स्वर्ग या नरक में जगह नहीं मिलती। वे लोक और परलोक के बीच में ही अटके रहते हैं।

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मरने के बाद भी कष्ट सहती है आत्महत्या करने वालों की आत्मा
कहते हैं कि जीवन में लोगों को दुखों का सामना करना पड़ता है। धरतीलोक में जीवन जीने के लिए संघर्ष करना पड़ता है लेकिन गरुड़ पुराण के अनुसार आत्महत्या करने वाले मनुष्य की आत्मा को मरने के बाद भी दुख उठाने पड़ते हैं। उसकी आत्मा अशांत रहती है और मरने के बाद भी वो जीवन के संघर्षों, प्रेम, दुख आदि के बारे में सोचता रहता है। आत्महत्या करने वाला मनुष्य केवल एक भटकती आत्मा बनकर रह जाता है।

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लेखक के बारे में

Swati Shah, Since 2023, I have been working as an Executive Assistant at IBC24, No.1 News Channel in Madhya Pradesh & Chhattisgarh. I completed my B.Com in 2008 from Pandit Ravishankar Shukla University, Raipur (C.G). While working as an Executive Assistant, I enjoy posting videos in the digital department.