Guruwar Vrat: गुरुवार व्रत से खुल जाएंगे आपके सोए हुए भाग्य, जानें 10 रोचक बातें |

Guruwar Vrat: गुरुवार व्रत से खुल जाएंगे आपके सोए हुए भाग्य, जानें 10 रोचक बातें

guruvaar vrat : गुरुवार व्रत करने से खुल जाते हैं भाग्य के द्वार कुंडली में यदि बृस्पति कमजोर है, शुक्र, बुध या राहु के साथ है या किसी भी प्रकार से वह नीच हो रहा है तो जातक को गुरुवार का व्रत अवश्‍य करना चाहिए क्योंकि बृहस्पति से ही भाग्य जागृत होता है।

Edited By :   Modified Date:  January 4, 2023 / 07:13 PM IST, Published Date : January 4, 2023/7:06 pm IST

Guruwar Vrat: हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण को देखना बहुत जरूरी होता है। इसी से शुभ लग्न और मुहूर्त पता का चलता है। वार, तिथि, माह, लग्न और मुहूर्त का एक संपूर्ण विज्ञान है। जो लोग इस हिन्दू विज्ञान अनुसार अपनी जीवनशैली ढाल लेते हैं वे सभी संकटों से बचे रहते हैं।

आइये जानते हैं कि गुरुवार व्रत का क्या महत्व है और क्या है इसके संबंध में 10 रोचक बातें कौन सी हैं।

1. नवग्रहों में गुरु ही है सर्वश्रेष्ठ

गुरुवार की प्रकृति क्षिप्र है। यह दिन ब्रह्मा और बृहस्पति का दिन माना गया है। धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु के सूर्य, मंगल, चंद्र मित्र ग्रह हैं, शुक्र और बुध शत्रु ग्रह और शनि और राहु सम ग्रह हैं। नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु की उपाधि प्राप्त है। इनके शुत्र बुध, शुक्र और राहु है। कर्क में उच्च का और मकर में नीच का होता है गुरु। लाल किताब के अनुसार चंद्रमा का साथ मिलने पर बृहस्पति की शक्ति बढ़ जाती है। वहीं मंगल का साथ मिलने पर बृहस्पति की शक्ति दोगुना बढ़ जाती है। सूर्य ग्रह के साथ से बृहस्पति की मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है।

2. गुरु से ही प्रारंभ मांगलिक कार्य

मानव जीवन पर बृहस्पति का महत्वपूर्ण स्थान है। यह हर तरह की आपदा-विपदाओं से धरती और मानव की रक्षा करने वाला ग्रह है। बृहस्पति का साथ छोड़ना अर्थात आत्मा का शरीर छोड़ जाना है। गुरु ग्रह के कारण ही धरती का अस्तित्व बचा हुआ है। सूर्य, चंद्र, शुक्र, मंगल के बाद धरती पर इसका प्रभाव सबसे अधिक माना गया है। गुरु ग्रह के अस्त होने के साथ ही मांगलित कार्य भी बंद कर दिए जाते हैं क्योंकि गुरु से ही मंगल होता है।

3. गुरुवार के देवता ब्रह्मा

ज्योतिष के अनुसार गुरुवार या गुरु ग्रह का संबंध महर्षि बृहस्पति और भगवान दत्तात्रेय से है परंतु लाल किताब के अनुसार भगवान ब्रह्मा इसके देवता हैं और ब्राह्मण, दादा, परदादा को इससे संबंधित माना जाता है। पीपल, पीला रंग, सोना, हल्दी, चने की दाल, पीले फूल, केसर, गुरु, पिता, वृद्ध पुरोहित, विद्या और पूजा-पाठ यह सब बृहस्पति के प्रतीक माने गये हैं।

4. कुंडली में गुरु

कुंडली में चौथा, पांचवां और नौवें भाव पर अपना प्रभाव रखते हैं। चौथे में अच्छा फल देते हैं और नौवें में भाग्य खोल देते हैं। कुंडली में बृहस्पति शुभ है तो व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोलता। उनकी सच्चाई के लिए वह प्रसिद्ध होता है। आंखों में चमक और चेहरे पर तेज होता है। अपने ज्ञान के बल पर दुनिया को झुकाने की ताकत रखने वाले ऐसे व्यक्ति के प्रशंसक और हितैषी बहुत होते हैं। यदि बृहस्पति उसकी उच्च राशि के अलावा 2, 5, 9, 12 में हो तो शुभ।

5. गुरुवार व्रत करने से खुल जाते हैं भाग्य

गुरुवार व्रत करने से खुल जाते हैं भाग्य के द्वार कुंडली में यदि बृस्पति कमजोर है, शुक्र, बुध या राहु के साथ है या किसी भी प्रकार से वह नीच हो रहा है तो जातक को गुरुवार का व्रत अवश्‍य करना चाहिए क्योंकि बृहस्पति से ही भाग्य जागृत होता है। उसी से आसानी से विवाह होता है और वैवाहिक जीवन में सुख मिलता है। गुरु ही लंबी आयु भी प्रदान करता है। अत: गुरुवार करना जरूरी है। उथली व छिछली मानसिकता वाले व्यक्तियों को बृहस्पतिवार का उपवास अवश्य रखना चाहिए।

6. गुरु खराब की निशानी

बृहस्पति कमजोर होता है तो पितृदोष माना जाता है। सिर के बीचोबीच से बाल उड़ने लगते हैं। शिक्षा में व्यवधान उत्पन्न होने लगता है। नेत्र में पीड़ा होने लगती है। सपने में सर्प का दिखाई देने लगते हैं। व्यक्ति के बारे में बेकार की अफवाहें चलती रहती है। गले में दर्द और फेफड़े की बीमारी हो जाती है। ज्यादा ही खराब है तो जातक की आयु भी कम हो जाती है।

7. मंदिर जाने और पूजा करने का वार

हिन्दू धर्म में गुरुवार को रविवार से भी श्रेष्ठ और पवित्र दिन माना गया है। यह धर्म का दिन होता है। इस दिन मंदिर जाना जरूरी होता है। गुरुवार की दिशा ईशान है। ईशान में ही देवताओं का स्थान माना गया है। इस दिन सभी तरह के धार्मिक और मंगल कार्य से लाभ मिलता है अत: हिन्दू शास्त्रों के अनुसार यह दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है अत: सभी को प्रत्येक गुरुवार को मंदिर जाना चाहिए और पूजा, प्रार्थना या ध्यान करना चाहिए।

8. गुरुवार का दिशा शूल और राहु काल

यात्रा में इस वार की दिशा पश्चिम, उत्तर और ईशान ही मानी गई है। इस दिन पूर्व, दक्षिण और नैऋत्य दिशा में यात्रा त्याज्य है। इस दिन दोपहर 1:30 से 3:00 बजे तक रहता है।

9. गुरुवार के दिन करें ये कार्य

सफेद चंदन, हल्दी या गोरोचन का तिलक लगाएं। हर तरह की बुरी लत को छोड़ने के लिए अति उत्तम दिन, क्योंकि इस दिन संकल्प की अधिकता रहती है। गुरुवार को पापों का प्रायश्‍चित करने से पाप नष्ट हो जाते हैं, क्योंकि यह दिन देवी-देवताओं और उनके गुरु बृहस्पति का दिन होता है। उत्तर, पूर्व, ईशान दिशा में यात्रा करना शुभ। धार्मिक, मांगलिक, प्रशासनिक, शिक्षण और पुत्र के रचनात्मक कार्यों के लिए यह दिन शुभ है। सोने और तांबे का क्रय-विक्रय कर सकते हैं। इस दिन घर में धूप दीप देना चाहिए खासकर गुग्गुल की धूप देना चाहिए। यदि आपका गुरु अशुभ या कमजोर है तो आप पीपल में जल चढ़ाएं। गुरुवार के दिन पीली वस्तु का सेवन करें।

अक्सर गुरुवार को इसकी धूप घर में दी जाती है। इस दिन धूप देने से गृह कलह, तनाव और अनिद्रा और किया कराया में लाभ तो मिलता ही है साथ ही दिल और दिमाग के दर्द में राहत मिलती है। सबसे बड़ी बात यह कि इस दिन धूप देने से पारलौकिक मदद मिलती है।

10. गुरुवार के दिन ना करें ये कार्य

इस दिन शेविंग न बनाएं और शरीर का कोई भी बाल न काटें अन्यथा संतान सुख में बाधा उत्पन्न होगी। दक्षिण, पूर्व, नैऋत्य में यात्रा करना वर्जित है। गुरुवार को नमक नहीं खाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य पर असर पड़ता है और हर कार्य में बाधा आती है। इस दिन दूध और केला खाना भी वर्जित माना गया है। इस दिन कपड़े धोना और पोछा लगाना भी वर्जित माना जाता है।

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