If you are also troubled by your enemy, then do this lesson with the worship

अगर आप भी है अपने शत्रु से परेशान, तो करें कालभैरव की पूजा के साथ यह पाठ…

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 04:48 PM IST, Published Date : August 18, 2022/4:33 pm IST

worship of kaalbhairav : भगवान शिव के सभी अवतारों में से एक अवतार कालभैरव भी है, जिन्हें रौद्र अवतार में भी देखा जाता है। भैरव का शाब्दिक अर्थ है भयानक। भैरव अर्थात भय से रक्षा करने वाला ।  भगवान भैरव को महादेव का क्रोधी रूप माना जाता है। अगर हम मान्यताओं को माने तो जो भी व्यक्ति भगवान काल भैरव की भक्तिभाव से पूजा अर्चना करता है उसे जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता। कहा जाता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सबस प्रभावशाली तरीका है ‘कालभैरव अष्टकम का पाठ’। ऐसा भी माना जाता है कि “काल भैरव अष्टकम” का पाठ व्यक्ति के अहंकार का दमन कर उसे सत्कर्म की ओर ले जाता है। इसी के साथ ऐसा भी कहते हैं कि इस पाठ से मन को शान्ति मिलती है साथ ही व्यक्ति आजीवन स्वस्थ, धनवान समृद्ध बनता है। इसी के साथ काल भैरव अष्टकम का पाठ उन लोगों को जरूर करना चाहिए जो शत्रु से परेशान रहते हैं।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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worship of kaalbhairav : बाबा कालभैरव की पूजा भारत समेत श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत स्थानों पर होती है। अलग-अलग स्थानों पर उन्हें अलग-अलग नामों से पूजा जाता है। महाराष्ट्र में खंडोबा के नाम से पूजा अर्चना होती है, वहीं दक्षिण भारत में भैरव का नाम शाश्ता है। लेकिन हर जगह एक बात समान है कि उन्हें काल के स्वामी और और उग्र देवता के रूप में ही जाना जाता है। बाबा कालभैरव बहुसंख्यक जनता के कुल देवता हैं।

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worship of kaalbhairav : माना जाता है कि भगवान शिव के बहुत ज्यादा गण हैं – भूत, प्रेत, पिशाच, पूतना, कोटरा और रेवती आदि। विपत्ति, रोग और मृत्यु के समस्त दूत और देवता उनके सैनिक हैं और इन सभी गणों के अधिनायक है बाबा काल भैरव। ऐसा कहा जाता है कि काशी के राजा विश्वनाथ हैं और काल भैरव नगर के कोतवाल है।

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काल भैरव अष्टकम्
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

 

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

 

शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

 

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

 

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

 

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

 

भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

IBC24 इन बातों की पुष्टि नहीं करता..ये जानकारी सिर्फ धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं।

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