Jagannath Puri ki Teesri sidhi ka rahasya : जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी का क्या है रहस्य? क्या इस सीढ़ी पर पैर रखते ही खुल जाएंगे मृत्यु के द्वार?

What is the secret of the third step of the Jagannath temple? Will the doors of death open as soon as you set foot on this step?

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  • Publish Date - June 16, 2025 / 05:41 PM IST,
    Updated On - June 16, 2025 / 05:41 PM IST

Jagannath Puri ki Teesri Sidhi ka Rahasya

Jagannath Puri ki Teesri sidhi ka rahasya : जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है। पुरी का श्री जगन्नाथ मन्दिर एक हिन्दू मन्दिर है, जो भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है। यह भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है। इस मन्दिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मन्दिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मन्दिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मन्दिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं।

Jagannath Puri ki Teesri sidhi ka rahasya

आईये जानते हैं जगन्नाथ पूरी की तीसरी सीधी का रहस्य.. क्या इस तीसरी सीढ़ी पर पैर रखने से खुल जाते हैं मृत्यु के द्वार?

जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करते समय, मुख्य द्वार से 22 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं, जिन्हें “बैसी पहाचा” कहा जाता है। इन सीढ़ियों में से तीसरी सीढ़ी को यमशिला माना जाता है। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वे मोक्ष के अधिकारी हो जाते हैं।

Jagannath Puri ki Teesri sidhi ka rahasya

यमराज और भगवान जगन्नाथ जी की पौराणिक कथा..

पौराणिक कथा के अनुसार, यमराज ने भगवान जगन्नाथ से शिकायत की थी कि उनके दर्शन से लोग पाप मुक्त होकर सीधे यमलोक जा रहे हैं, जिससे यमलोक में जीवों की संख्या कम हो रही है। तब भगवान जगन्नाथ ने यमराज को मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर स्थान दिया और कहा कि जो भी भक्त दर्शन के बाद इस सीढ़ी पर पैर रखेगा, उसके पुण्य नष्ट हो जाएंगे और उसे यमलोक जाना होगा।

Jagannath Puri ki Teesri sidhi ka rahasya

जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी…
इसलिए, जगन्नाथ पुरी मंदिर में दर्शन के बाद, भक्तों को तीसरी सीढ़ी पर पैर रखने से मना किया जाता है, ताकि उनके पुण्य नष्ट न हों और यमलोक का भय न रहे।

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