Kajari Teej 2023 : कजरी तीज पर पर इन बातों का रखे ध्यान, शुभ मुहूर्त से लेकर सब कुछ जानें यहां
Kajari Teej 2023 : हिंदू धर्म में कजरी तीज का पर्व महिलाएं बहुत धूमधाम से मनाती हैं। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज
Kajari Teej 2023
नई दिल्ली : Kajari Teej 2023 : हिंदू धर्म में कजरी तीज का पर्व महिलाएं बहुत धूमधाम से मनाती हैं। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज मनाई जाती है। इसे कजलिया तीज या सातुड़ी तीज भी कहते हैं। साल 2023 में कजरी तीज कल 2 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी। कजरी तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए कजरी तीज का व्रत रखती हैं। साथ ही यह व्रत करने से संतान सुख मिलता है, घर में सुख-समृद्धि मिलती है।
कजरी तीज के दिन चंद्र देव की भी होती है पूजा
Kajari Teej 2023 : कजरी तीज के दिन महिलाएं नीमड़ी की पूजा करती हैं. साथ ही इस दिन गौ माता की पूजा करने का भी विधान है। इसके अलावा कजरी तीज की शाम को चंद्र देव की भी पूजा की जाती है। करवा चौथ की तरह कजरी तीज की रात चंद्र देव को अर्घ्य दिया जाता है। कजरी तीज के दिन सोलह श्रृंगार करने, झूला झूलने और नाचने-गाने की भी परंपरा है।
शुभ मुहूर्त
Kajari Teej 2023 : हिंदी पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 01 सितंबर 2023 की रात 11 बजकर 50 मिनट पर हो रही है, जो कि अगले दिन 02 सितंबर 2023 की रात 08 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार कजरी तीज 2 सितंबर 2023, शनिवार को मनाई जाएगी।
इस साल कजरी तीज की पूजा का शुभ मुहूर्त 2 सितंबर की सुबह 7 बजकर 57 मिनट से सुबह 9 बजकर 31 मिनट तक है. वहीं रात में कजरी तीज की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 45 मिनट से रात को 11 बजकर 12 मिनट तक है. वैसे कजरी तीज की पूजा दिन में ही करना शुभ माना जाता है।
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कजरी तीज की पूजा करें ऐसे
Kajari Teej 2023 : कजरी तीज के दिन सुहागन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल या हरे रंग के कपड़े पहनें। कजरी तीज व्रत का संकल्प लें, फिर पूरे दिन निर्जला रहकर व्रत करें। यदि सेहत संबंधी समस्या है या महिला गर्भवती है तो वह फलाहार करके कजरी तीज का व्रत करें। इसके बाद नीमड़ी माता की जल, रोली और अक्षत से पूजा करें। उन्हें मेहंदी और श्रृंगार सामग्री, फल, फूल, मिठाई अर्पित करें. फिर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजी करें। पूजा का पूरा फल पाने के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें। फिर बड़ी महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें। रात में चांद निकलने से पहले पूरा श्रृंगार करके चंद्र देव का अर्घ्य दें। इसके बाद व्रत खोलें।

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