Kemdrum Yog: कहीं आपकी कुंडली में भी तो नहीं है ‘केमद्रुम’ योग? माना जाता है दुर्भाग्य का प्रतीक..जानें

Kemdrum Yog: जिसकी कुंडली में केमद्रुम योग होता है वह पुत्र कलत्र से हीन इधर उधर भटकने वाला, दुख से अति पीड़ित, बुद्धि और खुशी से हीन, मलिन वस्त्र धारण करने वाला, नीच और कम उम्र वाला होता है।

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  • Publish Date - February 21, 2023 / 10:04 AM IST,
    Updated On - February 21, 2023 / 10:04 AM IST

Jyotish Shastra Kemdrum Yog in Horoscope

Kemdrum Yog

Jyotish Shastra Kemdrum Yog in Horoscope: हर इंसान की कुंडली में शुभ के साथ ही कई अशुभ योग भी होते हैं, जिसमें केमद्रुम योग भी एक है। ज्योतिष में इसे दुर्भाग्य का प्रतीक माना गया है। कुंडली में इस योग के बनने से कई प्रकार की परेशानियां हो सकती है।

ज्योतिष शास्त्र में किसी व्यक्ति के भाग्य का विश्लेषण उसकी कुंडली में बनने वाले शुभ और अशुभ योगों के माध्यम से ही किया जाता है। ऐसे ही अशुभ योग में एक है ‘केमद्रुम योग’ । इसे ज्योतिष में सबसे अधिक अशुभ योगों की श्रेणी में रखा गया है। इस योग की अशुभता इतनी अधिक होती है कि, जिस जातक की कुंडली में यह योग होता है उसके शुभ योगों के फल भी निष्क्रिय हो जाते हैं।

केमद्रुम योग है दुर्भाग्य का प्रतीक?

कुंडली में कैसे बनता है केमद्रुम योग और इसके प्रभाव क्या होते हैं यहां जानते हैं।

कहा जाता है कि चंद्रमा व्यक्ति के मन का स्वामी होता है, मन का स्वामी होने के कारण यदि किसी की जन्मकुंडली में चंद्रमा की स्थिति प्रतिकूल हो तो ऐसे में वह दोषपूर्ण स्थिति में होता है और उसे मन और मस्तिष्क से संबंधी परेशानियां होती है। केमद्रुम योग भी चंद्र ग्रह के अशुभ प्रभावों के कारण बनता है, इस योग के कारण व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार पड़ सकता है। साथ ही व्यक्ति को हमेशा अज्ञात भय सताता है। ज्योतिष के विद्वानों द्वारा केमद्रुम योग को दुर्भाग्य का प्रतीक माना गया है।

जैसे की कहा गया है-
“केमद्रुमे भवति पुत्र कलत्र हीनो देशान्तरे ब्रजती दुःखसमाभितप्तः.
ज्ञाति प्रमोद निरतो मुखरो कुचौलो नीचः भवति सदा भीतियुतश्चिरायु”

अर्थात, जिसकी कुंडली में केमद्रुम योग होता है वह पुत्र कलत्र से हीन इधर उधर भटकने वाला, दुख से अति पीड़ित, बुद्धि और खुशी से हीन, मलिन वस्त्र धारण करने वाला, नीच और कम उम्र वाला होता है।

कैसे बनता है कुंडली में केमद्रुम योग

जब कुंडली में चंद्रमा किसी भी भाव में अकेला बैठा हो यानी उसके आगे या पीछे के भाव में कोई ग्रह न हो और चंद्र ग्रह के ऊपर किसी ग्रह की दृष्टि न हो तो ऐसे में केमद्रुम योग का निर्माण होता है, लेकिन ऐसी स्थिति में यह देखना जरूरी हो जाता है कि चंद्रमा किस राशि में स्थित है और उसके अंश क्या हैं। यदि चंद्रमा की स्थिति कमजोर है तो ऐसी स्थिति में केमद्रुम अशुभ योग होने के बावजूद भी बहुत प्रतिकूल फलदायी नहीं होगा।

ऐसी स्थिति में शुभ देता है केमद्रुम योग

कई बार केमद्रुम योग से शुभ फलों की भी प्राप्ति होती है। अगर किसी कि कुंडली में जब गजकेसरी, पंचमहापुरुष जैसे शुभ योगों की अनुपस्थिति हो तो केमद्रुम योग से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता, यश और प्रतिष्ठा की प्राप्ति हो सकती है। वहीं इस योग से हमेशा ही बुरे फल नहीं मिलते बल्कि इस योग से व्यक्ति को जीवन में संघर्ष से जूझने की क्षमता और आत्मबल भी मिलता है, इसलिए इससे अधिक भयभीत होने की जरूरत नहीं है। ज्योतिष में केमद्रुम योग के अशुभ प्रभावों को कम करने के उपायों के बारे में भी बताया गया है। जोकि इस प्रकार से हैं-

सोमवार के दिन शिवजी का पूजन और रुद्राभिषेक करें और संभव हो तो व्रत रखें।
शनिवार को शाम में पीपल वृक्ष के पास सरसों तेल का दीप जलाएं।
सोमवार के दिन हाथ में चांदी का कड़ा धारण करें।
एकादशी का व्रत रखने से भी केमद्रुम योग के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।

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