Hal Chhath Puja Vidhi: ये है हलछठ व्रत की सही डेट, इस व्रत में न करें इन चीजों का सेवन, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
Auspicious time of Hal Chhath vrat हल छठ या हल षष्ठी भाद्रपद के महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को ही मनाई जाती है।
Auspicious time of Hal Chhath vrat
Auspicious time of Hal Chhath vrat : हल छठ या हल षष्ठी भाद्रपद के महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को ही मनाई जाती है। इसे कई अलग अलग नामों से भी जाना जाता है जिसमें हलषष्ठी एक नाम है इसके अलावा ललही छठ या फिर ललई छठ भी इसे ही कहते हैं। इस पर्व को भगवान कृष्ण के ज्येष्ठ भाई बलराम को समर्पित किया गया है। अपनी संतान की लंबी उम्र की कामना के साथ इस दिन माताएं पूरे मन से पूजन करती हैं। माना जाता है कि जो माताएं इस व्रत को करती हैं उनके पुत्र के जीवन पर आए संकट दूर होते हैं।
शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष के दौरान आने वाली ये तिथि 4 सितंबर 2023 की शाम 4.41 बजे से शुरू होगी और दूसरे दिन यानी कि 5 सितंबर 2023 की दोपहर 3.36 मिनट तक जारी रहेगी।
पूजन के हर खास दिन की तरह इस दिन भी सुबह स्नान और व्रत का खास महत्व है। इसके बाद गोबर से लीप कर स्थान तैयार करते हैं, जिनका पलाश, झरबेरी से श्रृंगार किया जाता है। इसके बाद पूजन होता है, जिसमें अरहर, गेहूं, जौ, मूंग, मक्का, धान के साथ ही हरी कजरियां, भुने हुए चने जैसी चीजें अर्पित की जाती है। पूजन के अंत में भैंस के दूध से बने हुए मक्खन को लेकर हवन किया जाता है। साथ ही कथा भी सुनाई जाती है।
हलषष्ठी व्रत के जरूरी नियम
Auspicious time of Hal Chhath vrat : संतान के सुख और लंबी आयु के लिए रखे जाने वाले इस व्रत को रखते समय न तो कोई अन्न खाया जाता है और न ही हल से जुता हुआ कोई अनाज या सब्जी आदि का प्रयोग किया जाता है। ऐसे में इस पावन व्रत में तलाब में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थ अथवा बगैर जोते गए पैदा होने वाली चीजों का प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार हलषष्ठी व्रत में विशेष रूप से भैंस के दूध और उससे बनी चीजों का ही प्रयोग होता है।

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