Story of Bhagwan Bholenath in Ayodhya : त्रेता युग से ही है अयोध्या का बड़ा इतिहास..! सरयू के किनारे नागों की सैया में विराजमान है भगवान भोलेनाथ, जानें इसके पीछे की रहस्यमयी कहानी…
Story of Bhagwan Bholenath in Ayodhya: अयोध्या में भगवान राम के साथ साथ देवाधिदेव महादेव भी साक्षात विराजमान पाए जाते हैं।
Shiv Stotra
Story of Bhagwan Bholenath in Ayodhya : अयोध्या। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या में प्रभु राम हमेशा वास करते हैं और अयोध्या उन्हें बेहद प्रिय है लेकिन इसी अयोध्या में भगवान राम के साथ साथ देवाधिदेव महादेव भी साक्षात विराजमान पाए जाते हैं जिनका प्राचीन मंदिर आज भी अयोध्या में स्थित है। त्रेता युग से ही अयोध्या का बड़ा इतिहास रहा है जहां भगवान श्री राम ने जन्म लिया तो उनके साथ साथ अयोध्या और भी अनेक देवताओं को प्रिय हो गई। आज भी अयोध्या को मठ मंदिरों का नगर कहा जाता है और अयोध्या में हजारों छोटे बड़े मठ मंदिर हैं और सभी मंदिरों की अपनी मान्यता है। इसी तरह अयोध्या में सरयू के पवित्र तट के किनारे भगवान शंकर भी नागेश्वर नाथ के रूप में विराजमान हैं जिनकी स्थापना प्रभु श्री राम के पुत्र कुश द्वारा करवाई गई थी।
Story of Bhagwan Bholenath in Ayodhya : बताया जाता है कि त्रेता युग में ही बड़े दिनो तक अयोध्या से बाहर रहने के बाद प्रभु श्री राम के छोटे पुत्र कुश की सरयू में स्नान करने की इच्छा हुई और वे सरयू तट के स्वर्गद्वारी घाट पर स्नान करने आए लेकिन स्नान करते समय उनके हाथ का कड़ा जिसे पौराणिक भाषा में कंकड़ भी कहा जाता है। वह सरयू में स्नान करते समय खो गया और काफी कोशिशों के बाद भी वह कड़ा उन्हें नहीं मिला। सरयू में खो जाने के बाद वह कड़ा कुमुद नाग की पुत्री कुमुदनी को मिल गया। वह हाथ का कड़ा कुश को सीता माता ने दिया था इसलिए उन्हें उस कड़े से बेहद प्यार था लेकिन जब वह कड़ा कुमुद्नी ने भगवान कुश को नहीं लौटाया तो कुश बहुत क्रोधित हो गए और पूरे नगवंश को समाप्त कर देने की जिद ठान ली।
कुश का यह गुस्सा देख कुमुद नाग ने भगवान शंकर से नागवंश को बचाने की प्रार्थना की जिसके बाद भगवान शंकर ने कुश के गुस्से को शांत कराया और नागवंश को क्षमा करने के साथ साथ नाग कन्या कुमुदनी से शादी करने की बात कुश से कही। इतना सब सुनकर कुश ने नागवंश को क्षमा तो कर दिया लेकिन नाग कन्या से विवाह करने की एक शर्त रख दी की मैं विवाह तभी करूंगा जब आप प्रतिदिन मुझे दर्शन देंगे और तभी से भगवान शंकर अयोध्या के सरयू तट पर विराजमान हैं जिन्हे आज भी नागेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है।
Story of Bhagwan Bholenath in Ayodhya
त्रेता युग में नागवंश की रक्षा करने आए भगवान शंकर ने प्रभु श्री राम के पुत्र कुश की बात मानकर अयोध्या में भी अपना स्थान बना लिया और तभी से भोलेनाथ आज भी सरयू तट राम की पैड़ी पर नागों से बने हुए गोलाकार आसन पर विराजमान हैं। अयोध्या में प्रभु श्री राम के दर्शन को आने वाले भक्त बड़ी संख्या में भोलेनाथ के दर्शन भी करने आते हैं और भगवान नागेश्वरनाथ को दूध विल्वपत्र अर्पित कर अपनी मनोकामना मांगते हैं।
नागों की सैया में विराजमान भोलेनाथ आज भी अयोध्या के पवित्र सरयू तट में विराजमान हैं और भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। कहा जाता है कि अयोध्या में आने पर भगवान श्री राम के दर्शन के साथ साथ भगवान नागेश्वर नाथ के दर्शन किए बिना अयोध्या की यात्रा पूरी नहीं होती। वहीं नागेश्वर नाथ के इस मंदिर में शिवरात्रि और सावन महीने में भक्तों की भारी भीड़ दर्शन के लिए उमड़ती है।

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